चिकित्सा विभाग द्वारा रोजाना जारी की जाने वाली रिपोर्ट के अनुसार अब भी कोरेाना के मरीज सामने आ रहे हैं। गत दिनों जिले में जहां मात्र छह मरीज रह गए थे, वहीं 5 अगस्त को एक साथ 4 मरीज सामने आने से मरीजों का आंकड़ा अब वापस 12 हो गया है। यानी कोरोना महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, इसके बावजूद लोगों ने मास्क लगाना व सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना बंद कर दिया है, यह लापरवाही जिले के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
यूं तो चिकित्सा विभाग कोरोना से हुई मौतों का असली आंकड़ा बताने से परहेज कर रहा है, लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट विकास भाटी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगने पर जेएलएन अस्पताल के पीएमओ ने बताया कि अस्पताल द्वारा कोरोना काल के दौरान कुल 422 डेड बॉडी कवर खरीदे गए, जिनमें से 10 का स्टॉक शेष है, बाकी उपयोग में लिए जा चुके हैं।
यूं तो चिकित्सा विभाग कोरोना से हुई मौतों का असली आंकड़ा बताने से परहेज कर रहा है, लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट विकास भाटी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगने पर जेएलएन अस्पताल के पीएमओ ने बताया कि अस्पताल द्वारा कोरोना काल के दौरान कुल 422 डेड बॉडी कवर खरीदे गए, जिनमें से 10 का स्टॉक शेष है, बाकी उपयोग में लिए जा चुके हैं।
326 तो केवल पुरुष ही हैं
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामदयाल मांझू की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 4 अगस्त तक मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना के तहत 326 विधवा महिलाओं तथा 17 अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। यानी 326 पुरुषों की मौत कोरोना महामारी से हुई है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी संख्या कोरोना से जान गंवाने वाली महिलाओं, युवाओं व बच्चों की भी रही है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामदयाल मांझू की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 4 अगस्त तक मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना के तहत 326 विधवा महिलाओं तथा 17 अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। यानी 326 पुरुषों की मौत कोरोना महामारी से हुई है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी संख्या कोरोना से जान गंवाने वाली महिलाओं, युवाओं व बच्चों की भी रही है।
संक्रमण को रोकने के लिए बरती सतर्कता
जिले में अब तक कोरोना महामारी से 177 मौतें ही हुई हैं, शेष जो मौतें हुई हैं, उनकी जांच नहीं हो पाने या जांच में पॉजिटिव नहीं आने के बावजूद उनके लक्षण कोरोना महामारी जैसे ही थे, इसलिए उन्हें कोरोना संदिग्ध माना गया है। जेएलएन अस्पताल से जिन शवों को डेड बॉडी कवर में पैक करके दिया गया, उसकी वजह भी संक्रमण को रोकना था।
– डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर
जिले में अब तक कोरोना महामारी से 177 मौतें ही हुई हैं, शेष जो मौतें हुई हैं, उनकी जांच नहीं हो पाने या जांच में पॉजिटिव नहीं आने के बावजूद उनके लक्षण कोरोना महामारी जैसे ही थे, इसलिए उन्हें कोरोना संदिग्ध माना गया है। जेएलएन अस्पताल से जिन शवों को डेड बॉडी कवर में पैक करके दिया गया, उसकी वजह भी संक्रमण को रोकना था।
– डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर