नागौर जिले के बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर पिछले कोरोना काल के बाद से बंद एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव को लेकर बड़ी खाटू के सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी 103 वर्षीय रामदीन भाटी ने रेलवे स्टेशन के नए और पुराने दिनों को याद दिलाया। उन्होंने बताया 1952 में रेलवे में नौकरी लग गई थी तब बड़ी खाटू में स्टेशन होना और इधर से दिल्ली मेल जैसी रेलगाडिया का ठहराव होना बड़ी सौभाग्य की बात थी। दूर दराज के लोग दिल्ली मेल को देखने के लिए ऊंट गाड़ी से बड़ी खाटू आते थे। स्टेशन पर शहर की तरह रौनक रहती थी। जोधपुर- दिल्ली जाने का एकमात्र साधन दिल्ली मेल रेलगाड़ी ही था। 1988 में जब सेवानिवृत्त हुआ उसके बाद तक बड़ी खाटू स्टेशन सबसे सुविधाजनक स्टेशन था, यहां मालगाडियों में माल लोड होता था। कई दफ्तर थे, उन दिनों में हम बड़ी खाटू निवासी होकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते थे।
एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से मन होता उदास सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी रामजीवन भाटी ने बताया कि कोरोना काल के बाद से बड़ी खाटू स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव बंद करने से बड़ी खाटू का विकास कमजोर हो जाएगा। सच पूछो तो मैं बड़ी खाटू स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव बंद होने की खबर पढ़ता हूं तो मन बहुत उदास हो जाता है। मुझे वो पुराने दिन याद आते है सोचता हूं इस स्टेशन से एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव तक बंद कर दिया। आज इस स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होना किसी दर्द से कम नही है। आजादी की लड़ाई में भी इस स्टेशन का अहम योगदान था।
कौनसी ट्रेन थी दिल्ली मेल अंग्रेजो के समय से स्थापित बड़ी खाटू का यह रेलवे स्टेशन अपने कई योगदान को गिना रहा है। रेलवे सेवानिवृत्त कर्मचारी रामदीन भाटी ने बताया कि दिल्ली मेल एक्सप्रेस गाडी थी जिसका गिने चुने स्टेशनों पर ठहराव होता था। दिल्ली का एकमात्र साधन दिल्ली मेल था, उस समय बड़ी खाटू में दिल्ली मेल का ठहराव हुआ करता था। 1947 में समझदार लड़का था उस समय की बाते मुझे आज भी याद है कि दिल्ली मेल में सोर शराबा मचा रहता था। दिल्ली मेल के जरिए ही हमें आजादी के समाचार मिलते थे।