गणित से खास लगाव
लाम्पोलाई निवासी जाखड़ बताते हैं कि 11 साल की उम्र से उनको गणित की यह खास महारथ हासिल है। वे 80 साल के हो गए हैं। यानी 69 साल से इस कला में निपुण है। वृद्ध तुलछाराम ने बताया कि वे लाम्पोलाई से गंवारड़ी गांव पढ़ने के लिए जाते थे। तब उनको गणित की यह शिक्षा उनके गुरु चांवडिया निवासी शंकरदास वैष्णव ने दी। उस समय तुलछाराम के साथ 200 विद्यार्थी और पढ़ते थे, लेकिन सिर्फ वो ही इस फर्राटेदार पहाड़े बोलने की कला में महारथ हासिल किए। इसके बाद इनके गुरु ने घर पर आकर माता-पिता को बता दिया कि इनकी पढ़ाई पूरी हो चुकी है। मेरे पास जो गणित की विद्या थी उसमें मैंने पारंगत कर दिया है। तुलछाराम राजस्थान के इकलौते ऐसे वृद्ध है जो इस उम्र में गणित के 1 से लगाकर 10 हजार तक के पहाड़े बिना रुके कंठस्थ कैलकुलेटर से भी तेज बोल जाते हैं।
कई बार हो चुके हैं सम्मानित
वृद्ध तुलछाराम 1 से लेकर 10 हजार तक के सामान्य पहाड़ों के साथ ही डेढ़, ढाई, साढ़े तीन, साढ़े चार, साढ़े पांच जैसे पहाड़े भी बिना रुके फर्राटे से बोल जाते हैं। तुलछाराम बताते हैं कि जैसे-जैसे वो बड़े पहाड़े बोलते हैं दिमाग में खुद-ब-खुद आगे संख्या बनती जाती है। इसके साथ ही जाखड़ जोड़, बाकी, गुणा, भाग भी सैकेंडों में सॉल्व कर लेते हैं। उल्लेखनीय है कि जाखड़ अपनी इस कला को लेकर बड़े-बड़े मंत्रियों से लेकर जिला कलक्टर व उपखंड स्तर पर भी सम्मानित हो चुके हैं। यह वीडियो भी देखें
गोल्डन बुक में नाम हुआ दर्ज
उल्लेखनीय है कि करीब ढाई साल पहले वृद्ध तुलछाराम के पास दिल्ली के जज मनीष विश्नोई का कॉल आया। उन्होंने बताया कि मैंने यू-ट्यूब, फेसबुक पर आपकी गणित की इस कला के वीडियो देखे हैं। बाद में उन्होंने तुलछाराम से फोन पर यकायक 9300, 8500, 7300 के पहाड़े पूछे। तुलछाराम ने बिना रुके धारा प्रवाह ऐसे पहाड़े बोले, जैसे की मानों 2 का पहाड़ा सुना रहे हो। यह सुनकर जज विश्नोई दंग रह गए। इसके एक माह बाद न्यायाधीश का फिर कॉल आया और उन्होंने वृद्ध तुलछाराम का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज होने की खुशखबरी दी। जिन पर तुलछाराम को जरिए डाक के सर्टिफिकेट, बेच, टी-शर्ट जैसे उपहार भेजे गए।