नागौर

प्रदेश के 78 फीसदी ‘डाकघरों’ के पास नहीं खुद का ‘घर’

आधा दर्जन से अधिक जिलों में एक भी डाकघर सरकारी भवनों में नहीं- ई-मेल व डिजिटल के युग में डाकघरों की हालत हुई पतली, इसलिए सरकार नहीं बना रही भवन

नागौरAug 14, 2021 / 09:55 pm

shyam choudhary

78 percent post offices of the state do not have their office building

नागौर. भारत सरकार के संचार मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 526 उप डाकघर किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं, जबकि 118 उप डाकघर ही ऐसे हैं, जिनके पास विभाग का भवन है। यानी आजादी के 74 वर्ष बाद भी प्रदेश के 78 फीसदी उप डाकघर किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में आठ जिले ऐसे हैं, जहां एक भी उप डाकघर के पास विभाग का भवन नहीं है, इसमें हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, जालौर, कोटा, बारां, झालावाड़ व टोंक जिले शामिल हैं, जबकि बूंदी, धौलपुर व जैसलमेर में एक-एक उप डाकघर सरकारी भवन में संचालित हैं।
समय के साथ सूचनाओं व समाचारों के आदान-प्रदान के तरीके एवं साधन परिवर्तित होने से डाक विभाग का महत्व समाप्त नहीं हो जाए, इसके लिए सरकार ने समय-समय पर कई नवाचार किए हैं। यहां तक कि सरकार डाकघरों में बल्ब, ट्यूबलाइट व पंखे के साथ कुछ वर्ष पहले हल्दी-धनिया व चाय पत्ती बेचने की योजना तक लेकर आई, हालांकि हल्दी-धनिया बेचा नहीं गया। वर्तमान में डाकघरों के माध्यम से कई सुविधाएं दी जा रही है तो कई योजनाएं भी चल रही हैं, इसके बावजूद केन्द्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में संचालित उप डाकघरों को सरकारी भवन देने में रुचि नहीं दिखाई।
वर्तमान में मोबाइल, वॉट्सअप, ई-मेल जैसी तकनीक आने से पोस्टकार्ड-लिफाफे आदि भेजने का चलन जरूर कम हो गया है, लेकिन सरकार ने डाकघरों एवं उनके कर्मचारियों का उपयोग लेने के लिए डाकघरों को भी काफी हाईटेक किया है, ऑर्डनरी, स्पीड पोस्ट, बैंकिंग, सुकन्या समृद्वि योजना जैसी योजनाओं के चलते अब डाकिया का दायरा चि_ी वितरण तक ही सीमित नहीं रहा है। इसके बावजूद भारत सरकार के संचार मंत्रालय का कहना है कि सरकार की ग्रामीण क्षेत्रों कार्य कर रहे डाकघरों को शामिल करते हुए लागत-लाभ विश्लेषण, व्यावहारिक आवश्यकता और निधियों की उपलब्धता के आधार पर अपने उपलब्ध भूखंडों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त डाक भवनों का निर्माण करने की नीति है।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल द्वारा लोकसभा में लगाए गए प्रश्न का जवाब देते हुए मंत्रालय ने इस बात को स्वीकार किया है कि राजस्थान में अधिकांश डाकघर किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं।
नागौर में 50 से अधिक डाकघर, विभाग ने बताए 34
सांसद के सवाल का जवाब देते हुए डाक विभाग ने बताया कि नागौर जिले में 3 उप डाकघर (जायल, तरनाऊ व कुकनवाली) विभागीय भवनों में संचालित हो रहे हैं, जबकि 31 उप डाकघर किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 50 से अधिक उपडाकघर हैं, जबकि नागौर व डीडवाना में प्रधान डाकघर हैं। इसके बावजूद विभाग ने गलत सूचना दी है। जिला मुख्यालय का मंडल कार्यालय भी किराए के भवन में संचालित है।
जिला – विभागीय भवन – किराए का भवन
हनुमानगढ़ – 0 – 12
श्रीगंगानगर – 0 – 14
चूरू – 0 – 12
जालौर – 0 – 12
कोटा – 0 – 9
बारां – 0 – 8
झालावाड़ – 0 – 7
टोंक – 0 – 11
बूंदी – 1 – 9
धौलपुर – 1 – 13
जैसलमेर – 1 – 10
बांसवाड़ा – 2 – 12
डूंगरपुर – 2 – 20
राजसमंद – 2 – 13
करौली – 2 – 14
बाड़मेर – 3 – 21
झुंझुनूं – 3 – 31
नागौर – 3 – 31
अजमेर – 4 – 27
भीलवाड़ा – 4 – 20
प्रतापगढ़ – 4 – 1
पाली – 4 – 27
सीकर – 4 – 31
भरतपुर – 5 – 13
चित्तौडगढ़़ – 5 – 14
उदयपुर – 5 – 24
सिरोही – 6 – 3
सवाई माधोपुर – 6 – 8
अलवर – 8 – 24
जोधपुर – 8 – 17
बीकानेर – 10 – 10
दौसा – 11 – 9
जयपुर – 14 – 15
कुल – 118 – 526
आधुनिक स्वरूप में लाने की जरुरत
डाक घर संचार का पुराना व प्रमुख साधन रहा है, ऐसे में डाक घर के तंत्र को आधुनिक स्वरूप में लाने की जरुरत है। सरकार को योजनाबद्ध रूप से गांवों में संचालित डाकघरों के लिए सरकारी भवन बनाने, डाकघरों में रिक्त पद भरने व ग्रामीण डाक सेवकों की मांगों पर भी गौर करने की जरूरत है।
– हनुमान बेनीवाल, सांसद, नागौर

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