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दरअसल, प्रत्येक राज्य की सीमा और जिलों की सीमा पर पैदल अपने घरों काे लाैट रहे मजदूरों काे पुलिस राेकती है। इनसे पैदल जाने की वजह पूछी जाती है और फिर इन्हे राेकने का प्रयास भी किया जाता है। सहारनपुर से हाेकर पैदल जा रहे बिहार के कुछ मजदूरों से जब हमने बात की ताे उन्हाेंने बताया कि, पुलिस परेशान करती है। हरियाणा पुलिस उन्हे यूपी की सीमा भेज देती है लेकिन यूपी पुलिस उन्हे राेकती है। यह भी पढ़ें
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यही कारण है कि, वह रात का सफर अच्छा समझते हैं। कुछ मजदूरों ने यह भी बताया कि, रात में माैसम में भी गर्मी नहीं हाेती और बच्चों काे पैदल चलने में भी कम परेशानी हाेती है। ऐसे में रात में वह किसी भी सड़क या हाइवे काे पकड़ लेते हैं। उसी के सहारे अपनी यात्रा पूरी करते हैं। यह भी पढ़ें
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मुजफ्फरनगर-सहारनपुर के बीच टाेल प्लाजा के पास हुई दुर्घटना भी मजदूरों की बताई इस कहानी की ही वकालत करती है। जिन दस मजदरों काे बस ने अपनी चपेट में लिया है वह सभी रात के अंधेरे में पैदल जा रहे थे। दुर्घटना स्थल से चप्पलें और पूड़ियां भी मिली हैं। पॉलिथिन की पैकेट में पूड़ियां थी जिन्हे मजदूरों ने रात में खाने के लिए अपने साथ रखा हाेगा। इनमें से कुछ मजदूरों के सिर पर सामान पर भी था। यह भी पढ़ें