पूर्व मंत्री के बेटे ने सीएम योगी को लिखा ऐसा मार्मिक पत्र, जिसे पढ़ भर आएंगी आपकी आंखें दरअसल, मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद राष्ट्रीय लोकदल पार्टी का आस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो चुका था। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर के चलते राष्ट्रीय लोक दल को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी और यही हाल विधानसभा चुनाव 2017 में हुआ। इसमें भी राष्ट्रीय लोक दल को एकमात्र बागपत की छपरोली सीट से जीत मिली, लेकिन पार्टी के सिंबल पर निर्वाचित विधायक सहेंद्र रमाला राज्यसभा चुनाव में पार्टी की गाइड लाइन से हटकर वोटिंग कर दी थी, जिसके चलते उन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
यादव सिंह समेत बहू-बेटे और बेटियों पर आरोप तय, अब कुल 9 लोगों पर चलेगा केस अब राष्ट्रीय लोक दल ने लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर फिर तैयारियां शुरू कर दी हैं। राष्ट्रीय लोकदल मुखिया चौधरी अजीत सिंह ने साफ कर दिया है कि वह भाजपा के खिलाफ महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इसी को लेकर चौधरी अजीत सिंह की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि इस पर अभी न तो चौधरी अजीत सिंह और न ही रालोद का कोई नेता कुछ भी साफ बताने की स्थिति में नहीं है। मगर चौधरी अजीत सिंह की नजर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर जरूर है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चौधरी अजित सिंह के लगातार मुजफ्फरनगर में कार्यक्रम हो रहे हैं। शनिवार को फिर चौधरी अजित सिंह मुजफ्फरनगर में दो दिवसीय दौरे पर हैं।
शनिवार को उन्होंने बुढ़ाना कस्बे में पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें चौधरी अजित सिंह समेत सैकड़ों रालोद के कार्यकर्ताओं के साथ दिग्गज नेता भी मौजूद रहे। वहीं चौधरी अजित सिंह ने मंच से लोगों को संबोधित करने के साथ बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा और बीजेपी सरकार को किसान विरोधी सरकार बताया। मंच से चौधरी अजित सिंह ने कार्यकर्ता को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी पैसे देकर वोट लेगी और व्यापारियों को भी सीबीआई द्वारा फोन करके डराया-धमकाया जाएगा। मीडिया से बातचीत करने के दौरान चौधरी अजित सिंह ने लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने की बात पर चुप्पी साध ली। वहीं कहा कि बीजेपी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के साथ लड़ेगा। अगर कोई पार्टी बीजेपी के खिलाफ गठबंधन से अलग होकर चुनाव में उतरेगी तो उस पार्टी का नामोनिशान खत्म हो जाएगा।