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हल चलाते समय मिला घड़ा मंचन के दौरान दिखाया गया कि मिथिलापुरी के राजा जनक जब अपनी पत्नी के साथ हल चलाते होते हैं, तो एक घड़े से सीता का जन्म होता है। इसके बाद रावण जिस समय कैलाश पर्वत से गुजर रहा होता है तो नंदी गण उसे रोकते हैं। वे उसे समझाते हैं कि यह शंकर भगवान का कैलाश पर्वत है। उनकी अनुमति के बिना इस कैलाश पर्वत से पक्षी भी नहीं गुजरते हैं। लेकिन रावण नंदी की बात नहीं मानता है और उन्हें कैलाश पर्वत को उखाड़ फेंकने की चेतावनी देता है। जब रावण कैलाश पर्वत को उखाड़ने का प्रयास करता है तो पर्वत हिलता भी नहीं है। इसके बाद रावण भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है और क्षमा याचना करता है। यह भी पढ़ें