दरअसल, मामला थाना सिविल लाइन क्षेत्र का है। यहां सन 2015 में जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में हुए एक भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच के बाद तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट राजेंद्र सिंह द्वारा थाना सिविल लाइन में एक मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल होने के बाद मुकदमा शुरू हुआ। इस बीच तत्कालीन डीपीओ मोहनलाल साहू रिटायर हो गए। मुकदमे के बाद आठ आरोपी कोर्ट में पेश होकर जेल चले गए, जबकि रिटायर्ड डीपीओ मोहनलाल साहू तभी से फरार चल रहे थे, जिसके बाद कोर्ट ने इनके खिलाफ कई गैर जमानती वारंट जारी किए। उसके बावजूद भी मोहनलाल साहू कोर्ट में पेश नहीं हुए , जिन पर 10 हज़ार रुपये का इनाम रखा गया था, जिन्हें थाना सिविल लाइन पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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इस मामले में सीओ हरीश भदौरिया ने बताया कि मोहनलाल साहू 2015 में यहां पर डीपीओ के पद पर तैनात थे। उनकी तैनाती के दौरान एक विभागीय इंक्वॉयरी में जांच कमेटी ने एक करप्शन एक्ट का मुकदमा उनके खिलाफ दर्ज हुआ, जो जांच क्षेत्र अधिकारियों द्वारा की गई थी। इस मामले का में चौथा विवेचक हूं। न्यायालय के समक्ष यह हाजिर नहीं हो पा रहे थे, जिस वजह से इनके ऊपर 10 हज़ार रुपये का इनाम घोषित हुआ था। इसी संबंध में इनको सिविल लाइन की टीम ने पकड़ लिया। उन्होंने बताया कि इन्हें करप्शन एक्ट के तहत न्यायालय में पेश किया जाएगा।