मेरठ : दुकान बंद कराने आए पुलिसकर्मियों पर हमला, मौके पर पहुंची कई थानों की फोर्स
घटना की जानकारी पुलिस (muzaffarnagar police) को हुई तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। बताया जाता है कि, पुलिस के सामने भी काफी देर तक हंगामा होता रहा जिसके बाद पुलिस ने आरोपी युवक मनीष पुत्र मुनीर अहमद को हिरासत में ले लिया। इसके साथ दोनों पक्षों के चार- चार लोगों को भी हिरासत में ले लिया। अब कासमपुरापुरा गांव में इस बात का विरोध है कि उन्हीं के गांव में आकर दूसरे गांव के लोग छेड़खानी करते हैं जिसके बाद विरोध करने पर लाठी-डंडे और पथराव किया जाता है और पुलिस दोनों ही तरफ से बराबर गिरफ्तारी कर रही है।बता दें कि, मुजफ्फरनगर में 2013 में थाना जानसठ कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल में भी इसी तरह की घटना हुई थी। एक मुस्लिम युवक ने युवती से छेड़खानी कर दी थी। गांव मलिकपुरा निवासी युवती ने यह बात अपने भाइयों सचिन व गौरव को बताई जिसके बाद बहन से छेड़खानी की घटना को दोनों ममेरे फुफेरे भाई सचिन और गौरव बर्दाश्त नहीं कर सके थे। तुरंत गांव कवाल पहुंचकर आरोपी शाहनवाज के साथ मारपीट कर दी जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। शाहनवाज जमीन पर गिर पड़ा तो मौके पर मौजूद एक ही समुदाय के लोगों ने दोनों भाई सचिन और गौरव को घेर कर लाठी-डंडों और पत्थरो से पीट-पीटकर मौके पर ही मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद मुजफ्फरनगर को दंगे की आग में झुलसना पड़ा था। उस समय हुए इस दंगे में 60 से भी ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। उस सांप्रदायिक दंगे में लगभग 50,000 लोगों को अपने गांव से ही प्लान करना पड़ा था। इस पूरे प्रकरण में पुलिस के साथ-साथ शासन और प्रशासन की भी कमी रही थी जिस वजह से मुजफ्फरनगर आज तक उस कलंक को भुला नहीं पाया