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दरअसल, यह मामला जनपद शामली के झिंझाना क्षेत्र के गांव पीरखेड़ा का है। यहा गांव में डेंगू, वायरल और मलेरिया जैसे गंभीर बुखार से गांव के करीब 30 फ़ीसदी लोग पीड़ित हैं। लगातार बढ़ रही गांव में मरीजों की संख्या को देखते हुए लोगों में दहशत व्याप्त है। गांव के अधिकतर लोग चारपाई पर लेटे हैं, क्योंकि वह गंभीर रोग से ग्रस्त हैं। ग्रामीण प्राइवेट हॉस्पिटलों में अपना इलाज करा रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक अधिकतर बीमार लोग वायरल बुखार से पीड़ित है। जबकि एक मरीज को डेंगू बुखार है।
बीमारी के चलते इस गांव में सन्नाटा छाया है। गांव की गलियां सूनी पड़ी है, क्योंकि गांव में भारी संख्या में लोग बीमार हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग कुंभकरण की नींद सोया हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि न तो गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची और न ही ग्राम प्रधान ने ही इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए किसी प्रकार की दवाई का छिड़काव कराया है।
हालांकि, जब पत्रिका संवाददाता ने डिप्टी सीएमओ डॉ. सफल कुमार से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की एक टीम को गांव में कैंप लगाकर बीमार लोगों को उपचार देने के लिए भेजा था, टीम ने जाकर मरीजों को दवाई देने के साथ ही लोगों के खून के नमूने भी लिए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के इस मेडिकल कैंप से ग्रामीण नाखुश हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि डॉक्टरों ने चंद लोगों के सैंपल लिए और दवाई वितरित की। उसके बाद चले गए। ऐसे में बीमार पड़े लोगों का इलाज कैसे होगा।