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यूपी के इस शहर के लोगों से योगी ने किया रैपिड के साथ मेट्रो दौड़ाने का वादा दरअसल, उक्त दंगों से जुड़े 133 मुकदमों में से 89 मामले अभी भी अदालतों के समक्ष विचाराधीन हैं। वहीं अन्य मामलों में आरोपी या तो बरी हो गए या फिर कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो गई है। जबिक 89 मामले अभी भी लंबित हैं। इन लंबित मुकदमों में हेट स्पीच, हत्या, हत्या का प्रयास, आगजनी, डकैती के मामले शामिल हैं। इनमें स्थानीय भाजपा सांसद संजीव बालियान, बीजेपी विधायक सुरेश राणा, विधायक संगीत सिंह सोम और विहिप नेता साध्वी प्राची के नाम भी दर्ज हैं। यह भी पढ़ें
15 अगस्त के बाद यूपी के इन पांच शहरों में एक मिनट भी नहीं कटेगी बिजली बता दें कि इसी साल 12 जनवरी को प्रदेश विधि विभाग ने मुजफ्फरनगर जिलाधिकारी को पत्र भेजा था। जिसमें बिजनौर से भाजपा सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह,स्थानीय सांसद संजीव बालियान,विधायक उमेश मलिक, साध्वी प्राची, विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा के खिलाफ दर्ज दो मुकदमों की जानकारी मांगी गई थी। ये मामले हिंसा भड़कने से पहले 31 अगस्त, 2013 और 7 सितंबर, 2013 को आयोजित महापंचायतों से जुड़े हैं। इसके बाद शासन द्वारा 23 फरवरी 2018 को दूसरा पत्र भेजा गया। जिसमें मुजफ्फनगर-शामली दंगों से जुड़े 131 मामलों की जानकारी मांगी गई। इन मामलों को वापस लिए जाने के लिए डीएम, एसएसपी और अभियोजन अधिकारी से राय मांगी गई थी। जिसे लिए पिछले सप्ताह जबाव भेज दिए गए हैं।
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सीएम योगी का ऐलान, रक्षाबंधन पर महिलाओं को दिया जाएगा ये बड़ा तोहफा डीएम मुजफ्फरनगर राजीव कुमार का कहना है कि मामले वापसी के लिए प्रावधान है। जिसके तहत दंगे के आरोपी अपने मामले शासन से वापस लेने के लिए पत्र लिख सकते हैं। हमारी तरफ से जवाब भेज दिए गए हैं। जिस पर आखिरी फैसला शासन स्तर पर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले सरकारों में भी केस वापस किए गए हैं। यह भी पढ़ें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर पहुंचते ही ‘विशेष’ हो गर्इ सुरक्षा व्यवस्था, इन्होंने संभाला मोर्चा गौरतलब है कि सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए दंगों के बाद कुल 503 मुकदमे दर्ज किए गए थे। जिनमें भाजपा के कई बड़े नेताओं के नाम भी शामिल हैं। इन दंगों में 62 लोग मारे गए थे। जिसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की थी। यह भी देखें : रामपुर की इस सड़क पर दो बेगुनाहों को गुनाहगार क्यों बना दिया जानिए डीएम व एसएसपी केस वापसी के पक्ष में नहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और अभियोजन अधिकारी दंगे के केस वापसी के पक्ष में नहीं हैं। शासन को भेजे गए जवाब में इसके पीछे प्रशासनिक कारण बताए गए हैं। डीएम मुजफ्फरनगर राजीव कुमार का कहना है कि उन्होंने पुलिस व अभियोजन की कार्रवाई आदि को ध्यान में रखते हुए शासन को अपना जवाब लिखा है।