यह भी पढ़ें- सहारनपुर के लाेगाें ने अपनी जान पर खेलकर बचाई थी हथनी की जान, दिया था मानवता का संदेश बताया जा रहा है कि गांव कसेरवा में ब्राह्मण परिवार कई पीढ़ियों से रहता है। वहीं, मृतक ब्राह्मण बृजभूषण गांव के अंदर मुस्लिम मौलाना आजाद जूनियर स्कूल में कई सालों तक अध्यापक भी रहे हैं और हाल-फिलहाल में वह गांव में अपनी 4 बीघा जमीन पर खेती करते थे। मुजफ्फरनगर में 2013 के दंगों के बाद संप्रदायिक हिंदू-मुस्लिम तनाव इतना बढ़ गया था कि लोग एक-दूसरे के पास बैठना तो दूर देखना भी पसंद नहीं करते थे, लेकिन उसी समय से कसेरवा गांव में हिंदू मुस्लिम के बीच साम्प्रदायिकता जो खाई थी, वह अब गांव में कहीं नजर नहीं आती। यही वजह है कि मुस्लिम भाइयों ने हिंदू-रीति रिवाज के साथ बृजभूषण के शव को हिंदू रीति-रिवाज के साथ कंधा देकर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया। हिंदू-मुस्लिम की यह मिसाल मुजफ्फरनगर में अब एक अच्छा उदाहरण साबित हो रही है। चारों तरफ इस मामले की प्रशंसा हो रही है।
लॉकडाउन शुरू होते ही बुलंदशहर में दिखा सांप्रदायिक एकता का नजारा बता दें कि लॉकडाउन की शुरुआत में यूपी बुलंदशहर जिले में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला था। वहां भी मुस्लिम आबादी के बीच रहने वाले हिन्दू परिवार एक व्यक्ति का देहान्त हो गया था। मृतक के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने के कारण उसके अंतिम संस्कार की बारी आई तो परिजन सोच में पड़ गए, लेकिन इसी बीच मोहल्ले के मुस्लिमों ने अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाते हुए न केवल आर्थिक मदद की, बल्कि अर्थी को कांधा देकर पूरे हिंदू रीति-रिवाज से मृतक को अंतिम विदाई भी दी। इसी तरह का दृश्य मेरठ में भी देखने को मिला था।