यह भी पढ़ें: कैराना उपचुनाव के समीकरण साधने के लिए भाजपा अपना रही ये फार्मूला अखिलेश के घर पर चल रही बैठक गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव जीतने के बाद सपा और बसपा गठबंधन के कैराना में साथ लड़ने की चर्चा थी। रालोद ने भी इसमें शामिल होने की इच्छा जताई थी। रालोद की तरफ से
जयंत चौधरी के मैदान मे उतरने की चर्चा चल रही है। वेस्ट यूपी के कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली में हुई बैठक में रालोद के समर्थन की सलाह दी थी। इसी को लेकर शुकवार को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे अखिलेश यादव के घर पर सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस के नेताओं की बैठक बुलाई गई थी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में जयंत चौधरी को महागठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने पर विचार हो रहा है।
यह भी पढ़ें: सपा नेता का प्राइवेट पार्ट भी काट दिया था हत्यारों ने, आरोपियों ने बताई चौंकाने वाली वजह सपा के दावेदारों को लगेगा झटका वहीं, अगर यह महागठबंधन होता है और जयंत चौधरी को इसके प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा जाता है तो सपा से टिकट मांग रहे दावेदारों को बड़ा झटका लग सकता है। अब तक पूर्व सांसद तबस्सुम हसन को कैराना से सपा के टिकट का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। उनके अलावा कुछ और नेता भी टिकट की लाइन में थे। हालांकि, गुरुवार तक तो यह चर्चा रहीं कि सपा अपना उम्मीदवार उतारेगी, लेकिन शुक्रवार को हो रही बैठक के बाद अब तस्वीर बदल सकती है।
यह भी पढ़ें: कैराना उपचुनाव: ग्रामीणों ने इस पूर्व मंत्री को टिकट न देने पर किया बहिष्कार का ऐलान, अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ीं भाजपा नेताओं की भी हुई बैठक वहीं, अगर महागठबंधन पर सहमति बनती है तो भाजपा के लिए यहां से चुनाव जीतना काफी मुश्किल होगा। कैराना लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण के हिसाब से दलित मुस्लिम वोट बैंक को साधने वाले के जीतने के चांस ज्यादा होंगे। उधर, गुरुवार को भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल शामली में थे। वहां हुई बैठक में पश्चिम उत्तर प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा विधायक, तीन सांसद, चार मंत्री और भाजपा के पदाधिकारी भी शामिल हुए। इस बैठक में सुनील बंसल ने कहा कि कार्यकर्ताओं को हर कीमत पर कैराना लोकसभा चुनाव में विजय हासिल करनी है। आपको बता दें कि भाजपा की तरह से अब तक संभावित उम्मीदवार के तौर पर हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को देखा जा रहा है।