पढ़ते थे, तब भी लोग बाहुबली समझते थे
मदन भैया पर आपराधिक मुकदमें काफी उम्र में छात्र जीवन से ही लग गए थे। जो उनके राजनीति में आने के बाद भी जारी रहा। मदन भैया पर अलग-अलग थानों में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें पुलिस पर फायरिंग और बूथ कैप्चरिंग जैसे गंभीर आरोप भी हैं।
मदन भैया पर आपराधिक मुकदमें काफी उम्र में छात्र जीवन से ही लग गए थे। जो उनके राजनीति में आने के बाद भी जारी रहा। मदन भैया पर अलग-अलग थानों में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें पुलिस पर फायरिंग और बूथ कैप्चरिंग जैसे गंभीर आरोप भी हैं।
पूर्व विधायक चंदर सिंह पर हमले का मुकदमा भी मदन भैया पर चल रहा है। मदन भैया पर भी हमले हो चुके हैं। हालांकि ना आज तक उन पर लगे आरोपों में से कोई साबित हु़आ है और ना ही किसी हमले में मदन भैया को कोई गंभीर चोट लगी है।
जेल में थे तभी राजनीति में आने की सोची, चुनाव लड़ा और जीत गए
मदन भैया का राजनीतिक जीवन काफी दिलचस्प रहा है। वो लंबे समय तक वो जेल में भी रह चुके हैं। जेल में रहते हुए ही उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया था। 1989 में हुए विधानसभा चुनाव में जेल में रहते हुए ही मदन भैया ने खेकड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। जिसमें वो हार गए थे।
1991 में फिर से वो फिर से लड़े और जीते। तब भी वो जेल में ही थे। इसके बाद साल 1993 में वह सपा के टिकट पर लड़े और फिर जीत दर्ज की। इसके बाद 2002 और 2007 में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
खेकड़ा सीट खत्म हुई तो मदन भैया को मिली सिर्फ हारॉ
साल 2012 में परिसीमन में खेकड़ा सीट समाप्त कर दी गई और लोनी सीट बनाई गई। मदन भैया लोनी से 2012 में बीएसपी तो 2017 और 2022 में बीजेपी से हार गए। लोनी में हार की हैट्रिक के बाद मदन भैया ने अब खतौली से जीत हासिल की है।
पढ़े बीए फर्स्ट ईयर तक, मालिक हैं 16 करोड़ के
63 साल के मदन भैया के पास करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति है। चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 16 करोड़ से ज्यादा बताई है। उन्होंने बीए फर्स्ट ईयर तक पढ़ाई की है।