कैराना उपचुनाव: भाभी को देवर ने दी चुनौती, बुआ भतीजे भी बढ़ा रहे मुश्किलें
दरअसल आपको बता दें कि कैराना की राजनीति में हसन परिवार का पिछले कई दशकों से खासा दखल है। इसी हसन परिवार के मुखिया अख्तर हसन 1984 में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़कर बसपा सुप्रीमो मायावती को हरा चुके हैं। आपको बता दें कि मुनव्वर हसन और कंवर हसन दिवंगत अख्तर हसन के ही पुत्र हैं। कंवर हसन की 2008 में सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। उनके पौत्र नाहिद हसन (स्व.मुनव्वर हसन के पुत्र) कैराना से सपा विधायक हैं और नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन महागठबंधन में रालोद की कैराना लोकसभा उपचुनाव में उम्मीदवार है।कैराना उपचुनाव: रालोद नेता
जयंत चौधरी ने सपा से गठबंधन करने की बताई ये बड़ी वजह नाहिद हसन के पिता मुनव्वर हसन की 2008 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद मुनव्वर हसन की मौत के बाद परिवार में बिखराव आ गया। इस बिखराव का कारण है दोनों परिवारों के अपने-अपने राजनीतिक हित। आपको बता दें कि मुनव्वर हसन इस देश के सबसे कम उम्र में चारों सदनों में पहुंचने वाले नेता थे। मुनव्वर हसन कैराना से विधायक, कैराना सीट से सांसद, सहारनपुर मंडल से एमएलसी, समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद, मुजफ्फरनगर से सांसद रह चुके थे।कैराना-नूरपुर उपचुनाव से पहले रालोद नेता की बड़ी मांग, इन भाजपा नेताओं को चुनाव क्षेत्र में न जाने दिया जाए
मुनव्वर हसन की मौत के बाद वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन चुनाव लड़कर सांसद बनी थीं और उन्होंने भाजपा के हुकम सिंह को हराया था। वर्तमान समय में तबस्सुम हसन के पुत्र नाहिद हसन कैराना से सपा विधायक हैं। नाहिद हसन ने 2014 में कैराना लोकसभा सीट से सपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वो भाजपा के हुकुम सिंह से चुनाव हार गए थे। इसी चुनाव में उनके चाचा कंवर हसन भी बसपा से उम्मीदवार थे, चाचा-भतीजे की लड़ाई में भाजपा यहां से विजयी हुई।इस सीट को जीतने के लिए रालोद मुखिया चौधरी
अजीत सिंह पहुंचेंगे इस बड़े संगठन के दरवाजे पर 2014 में हुकुम सिंह के सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट कैराना विधानसभा सीट पर भाजपा के अनिल चौहान, सपा से नाहिद हसन व कांग्रेस से नाहिद हसन के छोटे चाचा अरशद हसन मैदान में थे। हालांकि इस चुनाव में सपा के नाहिद हसन ने भाजपा के अनिल चौहान को मात्र 1100 वोटों से चुनाव हो रहा था, जबकि नाहिद के परिवार के चार-चार सदस्य 17000 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन को दिया बड़ा झटका , नहीं किया समर्थन का ऐलान
2017 में हुए नगरपालिका के चुनाव में जब कंवर हसन के बड़े भाई हाजी अनवर हसन पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे थे तो उनके सामने नाहिद हसन ने समाजवादी पार्टी से कैराना के एक अन्य व्यक्ति को चुनाव लड़ाया था। इस चुनाव के बाद तो परिवार में और फूट पड़ गई। हालांकि इस चुनाव में नाहिद हसन के उम्मीदवार को करारी शिकस्त मिली। अब कैराना में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव में जब हसन की मां तबस्सुम हसन महागठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ रही हैं तो इसी चुनाव में उनके चाचा कंवर हसन ने लोकदल पार्टी से चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है।आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने चुनाव लड़ चुके बुआ-भतीजे भृगांका सिंह और अनिल चौहान अब साथ-साथ हैं। अनिल चौहान अब भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को जिताने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं।