शामली। भाजपा सांसद हुकुम सिंह का उनके पैतृक गांव कैराना में अंतिम संस्कार हुआ। नाती ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , मंत्री सुरेश राणा समेत कई नेता उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि देने उनके आवास पर पहुंचे थे। हुकुम सिंह की मौत से पूरे गांव में शोक की लहर है।
सीएम ने दी श्रद्धांजलि सांसद हुकम सिंह के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को शनिवार देर रात शामली के कैराना कोतवाली क्षेत्र के फार्म हाउस मायापुरी पर लाया गया। जहां रविवार को अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया। हुकुम सिंह के अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही लोगों का जमावड़ लगा था। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करीब साढ़े बजे उनके आवासा पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि देकर परिवार का ढांढस बढ़या। योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के कद्दावर नेता की मौत को बीजेपी के लिए कभी न भरने वाली क्षति बताई।
शनिवार रात में हुकुम सिंह ने ली अंतिम सांस गौरतलब है कि कैराना लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हुकुम सिंह का शनिवार को नोएडा के जेपी अस्पताल में निधन हो गया। वह 80 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमारी से पीड़ित चल रहे थे। कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। हुकुम सिंह की छवि जमीन से जुड़े हुए नेता की थी। वह कई सरकारों में मंत्री और लोकलेखा समिति के अध्यक्ष रह चुके थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह कैराना सीट से भाजपा के टिकट पर विजयी हुए थे। उनकी बेटी मृगांका सिंह भी भाजपा से जुड़ी हुई हैं और विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। सांसद हुकुम सिंह सपा सरकार में उठे पलायन के मुद्दे के बाद काफी सुर्खियों में रहे थे। कैराना में सांसद हुकुम सिंह के निधन से शामली-कैराना और आसपास के क्षेत्र में शोक की लहर है। वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर हुकुम सिंह के घर की तरफ जाने वाले रास्तों पर बड़े वाहनों के लिए रूट डायवर्जन किया गया था। आरएएफ औार पीएसी भी क्षेत्र में तैनात की गई थी।
सेना में रह चुके हैं हुकुम सिंह 1965 में हुकुम सिंह ने सैन्य अधिकारी के तौर पर पाकिस्तान के हमले के समय भी अपनी टुकड़ी के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना किया। उस दौरान कैप्टन हुकुम सिंह राजौरी के पूंछ सेक्टर में तैनात थे। हालांकि, 1969 में देश में स्थिति सामान्य होने पर उन्होंने सेना से इस्तीफा देकर फिर वकालत शुरू कर दी थी
हिन्दुओं के पलायन का उठाया था मामला बता दें कि हुकुम सिंह मुजफ्फरनगर जिले के कैराना में ही रहते थे और उनका जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था। वह भारत की 16वीं लोकसभा के सांसद थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह यूपी की कैराना सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए थे। उन्होंने ही कैराना समेत पश्चिम यूपी से हिंदुओं के पलायन का मामला उठाया था।
वकालत के दौरान राजनीति से जुड़े हुकुम सिंह वकालत से जुड़ने के बाद हुकुम सिंह 1974 में राजनीति में सक्रिय हो गए वह पहली बार विधायक बने। सात बार विधायक रहे हुकुम सिंह यूपी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं वर्तमान में वह कैराना से सांसद थे।
1963 में ज्वाइन किया था सेना हुकुम सिंह बचपन से पढ़ाई में काफी होशियार थे और वह कैराना में इंटर की पढ़ाई करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय चले गए। जहां से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की। यहां उन्होंने बीए-एलएलबी की पढ़ाई की और वकालत में ही प्रैक्टिस करने लगे। इसके बाद उन्होंने जज बनने की भी परीक्षा पास की थी। लेकिन इसी दौरान चीन ने भारत पर हमला कर दिया। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं से सेना में भर्ती होने के आह्वान किया। जिसपर हुकुम सिंह ने सेना में चले गए। इसके बाद 1963 में वह भारतीय सेना में अधिकारी हो गए।