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दरअसल मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद राष्ट्रीय लोक दल से जाट नाराज हो गए थे। जिससे उसे लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ था। खुद रालोद मुखिया अपनी परंपरागत सीट बागपत से चुनाव हार गए थे। मोदी लहर को भी इस हार की बड़ी वजह माना गया था। इसके बाद विधानसभा चुनाव 2017 में भी राष्ट्रीय लोक दल को एकमात्र बागपत की छपरौली सीट पर ही जीत मिली। इस सीट से चुनाव जीते रालोद विधायक सहेंद्र रमाला ने मार्च में हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी की गाइड लाइन से हटकर वोटिंग कर दी थी, जिसके चलते उन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। उसके बाद सहेंद्र रमाला भाजपा में शामिल हो गए।
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अब राष्ट्रीय लोक दल ने लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर फिर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिसमें राष्ट्रीय लोकदल मुखिया चौधरी अजीत सिंह ने साफ कर दिया कि वह भाजपा के खिलाफ महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इसी को लेकर चौधरी अजीत सिंह की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। आपको बता दें कि मई माह में हुए कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा चुनाव के बाद में महागठबंधन से कैराना लोकसभा सीट पर रालोद प्रत्याशी और नूरपुर विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से रालोद में अपने छिटके हुए वोट बैंक के पार्टी में वापस लौटने की उम्मीद जगी है।
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हालांकि इस पर अभी ना तो चौधरी अजीत सिंह और ना ही रालोद का कोई नेता कुछ भी साफ बताने की स्थिति में नहीं है मगर चौधरी अजीत सिंह की नजर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर जरूर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चौधरी अजित सिंह के लगातार मुजफ्फरनगर में कार्यक्रम लगते आ रहे हैं। शनिवार को फिर चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर में दो दिवसीय दौरे पर हैं। शनिवार को उन्होंने बुढ़ाना कस्बे में पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर सैकड़ों रालोद के कार्यकर्ताओं के साथ दिग्गज नेता भी मौजूद रहे। वहीं चौधरी अजीत सिंह ने मंच से लोगों को संबोधित करने के साथ-साथ ही भाजपा सरकार पर भी जमकर निशाना साधा।