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दूध के असली और नकली होने की इन सरल और घरेलू तरीकों से करें पहचान, सेहत के साथ न करें खिलवाड़ दोनों गर्म पत्थर ग्रामीण सुखपाल के आंगन में गिरे। किसान सुखपाल ने बताया कि मैं अपने परिवार के साथ सोया हुआ था, रात के करीब साढ़े 12 बज रहे थे और तेज़ बारिश हो रही थी। जब हम कमरे की ओर बढ़ रहे थे तभी आसमान में तेज रोशनी के साथ घर की तरफ कुछ आते देखा। देखते ही देखते तेज धमाका हुआ और जमीन पर कुछ आ गिरा। नजदीक से जाकर देखा तो दो काले और सफेद रंग के पत्थर के टुकड़े पड़े मिले। जिनसे अजीब सी गंध आ रही थी। धमाके की आवाज सुनकर आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए। इस मामले में फिलहाल किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। यह भी पढ़ें-महिला हॉकी खिलाड़ी से छेड़छाड़ के मामले में अब ये सच्चाई आई सामने, देखें वीडियो
यह भी देखें-कार सिख रहे चालक ने पंडाल लगाकर सो रहे 3 बच्चों को कुचला स्थानीय कॉलेज में भूगोल के प्रोफेसर नीरज त्यागी ने बताया कि यह पत्थर बड़े उल्का पिंड का हिस्सा हो सकते हैं। यह जिले में पहला मामला नहीं है। पहले भी नवंबर 2003 में कसौली गांव में बड़े काले रंग का एक उल्का पिंड गिरा था, जिसकी बाद में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की थी। इस उल्का का व्यास 29 सेमी था और मोटाई 11 सेमी थी। इसके गिरने से गांव की जमीन में 15 इंच का गहरा गड्ढा बन गया था। इसके बाद इसी तरह 2009 में भी जिले के करीमपुर गांव में दो उल्का पिंड पाए गए थे।
यह भी देखें-कार सिख रहे चालक ने पंडाल लगाकर सो रहे 3 बच्चों को कुचला स्थानीय कॉलेज में भूगोल के प्रोफेसर नीरज त्यागी ने बताया कि यह पत्थर बड़े उल्का पिंड का हिस्सा हो सकते हैं। यह जिले में पहला मामला नहीं है। पहले भी नवंबर 2003 में कसौली गांव में बड़े काले रंग का एक उल्का पिंड गिरा था, जिसकी बाद में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की थी। इस उल्का का व्यास 29 सेमी था और मोटाई 11 सेमी थी। इसके गिरने से गांव की जमीन में 15 इंच का गहरा गड्ढा बन गया था। इसके बाद इसी तरह 2009 में भी जिले के करीमपुर गांव में दो उल्का पिंड पाए गए थे।