मुजफ्फरनगर

बड़ी खबर: इस चुनाव में भाभी के सामने देवर ने किया नामांकन, अब मची अफरा-तफरी

अब शुरू हुई असली जंग, मुकाबला हुआ रोचक

मुजफ्फरनगरMay 10, 2018 / 08:45 pm

Rahul Chauhan

शामली। कैराना में महागठबंधन राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी तबस्सुम हसन के परिवार में वर्तमान समय में राजनीति को लेकर घमासान मचा हुआ है। तबस्सुम हसन के देवर कंवर हसन ने लोकदल पार्टी के सिंबल पर कैराना उपचुनाव में ताल ठोक दी है। देवर-भाभी कैराना लोकसभा सीट के चुनाव में आमने-सामने होंगे। वही आपको बता दें कि कंवर हसन को नामांकन से रोकने के लिए परिवार में संभ्रांत लोगों की एक पंचायत भी हुई। जिस पंचायत में एक पक्ष सपा विधायक नाहिद हसन तो दूसरा पक्ष उसके चाचाओं का था। जिसमें परिवार की सुलह की बात हुई। लेकिन बात नहीं बनी। सपा विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि अगर उनकी अम्मी सांसद बनती है तो वह अगले दिन ही विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे और अपने चाचा को चुनाव लड़ वाएंगे।
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दरअसल आपको बता दें कि कैराना कि राजनीति में हसन परिवार का पिछले कई दशकों से खासा दखल है। इसी हसन परिवार के मुखिया अख्तर हसन 1984 में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़कर बसपा सुप्रीमो मायावती को हरा चुके हैं। वर्तमान समय मे दिवंगत अख्तर हसन के पौत्र नाहिद हसन कैराना से सपा विधायक है औऱ नाहिद हसन की माँ तबस्सुम हसन महागठबंधन में आरएलडी की कैराना लोकसभा उपचुनाव में उम्मीदवार है। नाहिद हसन के पिता मुनव्वर हसन कि 2008 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी जिसके बाद मुनव्वर हसन की मौत के बाद परिवार में बिखराव आ गया था और वह भी खराब था केवल और केवल परिवार की राजनीति के कारण। आपको बता दें कि मुनव्वर हसन इस देश के सबसे कम उम्र में चारों सदनों में पहुंचने वाले नेता थे। मुनव्वर हसन कैराना से विधायक, कैराना सीट से सांसद, सहारनपुर मंडल से एमएलसी, समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद, मुजफ्फरनगर से सांसद रह चुके थे।
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मुनव्वर हसन की मौत के बाद वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन चुनाव लड़कर सांसद बनी थी और उन्होंने भाजपा के हुकम सिंह को हराया था। वर्तमान समय मे तबस्सुम हसन के पुत्र नाहिद हसन कैराना से सपा विधायक है। नाहिद हसन ने 2014 में कैराना लोकसभा सीट से सपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ा था लेकिन वो भाजपा के हुकुम सिंह से चुनाव हार गए थे। इसी चुनाव में उनके चाचा कवर हसन भी बसपा से उम्मीदवार थे, चाचा-भतीजे की लड़ाई में भाजपा यहां से विजयी हुई थी। 2014 में हुकुम सिंह के सांसद बनने के खाली हुई सीट पर कैराना विधानसभा सीट पर भाजपा के अनिल चौहान, सपा से नाहिद हसन व कांग्रेस से नाहिद हसन के छोटे चाचा अरशद हसन मैदान में थे। हालांकि इस चुनाव में सपा के नाहिद हसन ने भाजपा के अनिल चौहान को मात्र 1100 वोटों से चुनाव हो रहा था जबकि नाहिद के चार चार सदस्य 17000 वोट लेकर तीसरा स्थान पर रहे थे।
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2017 में हुए नगरपालिका के चुनाव में जब कंवर हसन के बड़े भाई हाजी अनवर हसन पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे थे तो उनके सामने नाहिद हसन ने समाजवादी पार्टी से कैराना के एक अन्य व्यक्ति को चुनाव लड़ आया था इस चुनाव के बाद तो परिवार में और फूट पड़ गई थी हालांकि इस चुनाव में नाहिद हसन के उम्मीदवार को करारी शिकस्त हासिल हुई थी। अब कैराना में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव में जब हसन की मां तबस्सुम हसन महागठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ रही है तो इसी चुनाव में उनके चाचा कंवर हसन ने लोकदल पार्टी के चुनाव निशान पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।
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परिवार के मध्य चल रही इस जंग को लेकर आज कवर हसन के घर पर नाहिद हसन अपने समर्थकों के साथ पहुंचे और पंचायत शुरू की। इस पंचायत में कुंवारा सुनने नाहिद हसन और उसकी मां तबस्सुम हसन पर कई तरह के आरोप लगाए उन्होंने आरोप लगाया कि मां बेटों को ही पूरी राजनीति में हिस्सा चाहिए बाकी उनके चाचा को कुछ नहीं इसी को लेकर घंटो तक यह पंचायत चली सपा विधायक नाहिद हसन कि आप मेरी मम्मी को यहां से सांसद बनवाएं और मम्मी के सांसद बनते ही अगले विधानसभा से इस्तीफा दे दूंगा और आप चुनाव लड़ लेना। लेकिन उसकी इस बात पर भी कवर हसन तैयार नहीं हुए, वह अपने समर्थकों के साथ बाद में पंचायत कर फैसला लेने की बात कहते हुए शामली की कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपना नामांकन दाखिल कर दिया।
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शामली कलेक्ट्रेट में नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे कंवर हसन ने बताया कि वह जनता के बीच की राजनीति करते हैं और जनता के कहने पर ही उन्होंने इस चुनाव में ताल ठोकी है। 2013 में सांप्रदायिक हिंसा में जिस पार्टी से तबस्सुम असम चुनाव लड़ रही है उस पार्टी के लोगो और मुसलमानों के बीच में झगड़ा हुआ था, अब उसी पार्टी से चुनाव तबस्सुम हसन चुनाव लड़ रही है, जनता इस चुनाव में उनको सबक सिखाने का काम करेगी। यहां के मुसलमानों ने यह तय किया है कि वह उस पार्टी को वोट नहीं देंगे।

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