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मनिंदरजीत बिट्टा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुसलमान हमारे भाई हैं। रमजान का दिन पूरी दुनिया में मनाया जाता है। जैसे हमारे यहां दिवाली मनाई जाती है और त्यौहार मनाए जाते हैं। यूपी में भी मनाया जा रहा है। बिहार में भी मनाया जा रहा है। यहां पर कोई ऐसी चीज़ नहीं है। खुशियों के दिन में हम सब हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई उसमें शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ इज्जत करते हैं, यह धार्मिक मामला है। चाहे किसी का भी त्यौहार हो, हिंदू का, मुस्लिम का, सिख याईसाई का हमें उसकी इज्जत करनी चाहिए। लेकिन अगर हमारे जवान की तरफ किसी ने पत्थर फेंका। हमारे जवान की तरफ गोली चलाई तो गोली का जवाब गोली ही होगा। उसमें कोई पाबंदी नहीं लगाई है। अगर कोई गोली चलाएं हमारी फौज चुप करके देखते रहे ऐसा तो कोई ऐलान नहीं किया। मैं यह समझूंगा कि ऐसी चीजों के ऊपर सीजफायर का जो लगाया है, वह लगाना नहीं चाहिए था, क्योंकि हमारी जो फोर्स है वह भी अपने परिवार को छोड़कर अपने देश के लिए कुर्बानी और शहादत देते हैं। बार बार उनको ऐसे मौके देने से उनको वक्त भी मिलता है। अपनी हर तरह की तैयारी करें और उसके बाद तैयारी करके पता चला की फोर्स चुप बैठे है। फ़ोर्स कुछ करेगी नहीं तो इसलिए हमें बड़ा चौकस लेने की जरूरत है और सरकार को दोबारा इस मुद्दे पर सोचने की जरूरत है।
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इस मौके पर उन्होंने कहा कि पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक ही रास्ता है, जो मेजर गोगोई ने किया था। पत्थरबाजों को जीप के आगे बांध दो, उनको तंग मत करो, सुंदर और अच्छे तरीके से बांधों उनको कुछ भी टॉर्चर मत करो, लेकिन जब पत्थर चले पहले उस पत्थरबाज पर चले फिर पुलिस की गाड़ी पर चले। उसके बाद पुलिस के जवान पर चले। जवान गोली भी खाएगा पत्थर भी खाएगा, लेकिन पहले पत्थर पत्थरबाज पर चलने चाहिए। उसको पता चलना चाहिए कि पत्थर लगता कैसे है। यही एक तरीका है पत्थरबाजों से निपटने का। अगर सरकार कहती है हम गोली नहीं चलाएंगे तो मत गोली चलाओ गाड़ियों के ऊपर जो पत्थर बाजपत्थर चलाएं उनको पकड़ों जैसे मुर्गों को पकड़ते हैं। इसके बाद उनको पकड़कर गाड़ी पर बांधो और घुमाओ। उन्होंने कहा कि हमारे जवान पर जो पत्थर चलते हैं तो किसी को कोई तकलीफ नहीं होती है, लेकिन जब पत्थरबाज पर पत्थर चले तो ह्यूमन राइट भी सामने आ जाता है।