म्यूचुअल फंड

मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे है निवेशक

मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे है निवेशक पिछले कुछ महीनों में निवेशक मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे हैं।

Oct 08, 2023 / 08:31 pm

Narendra Singh Solanki

पिछले कुछ महीनों में निवेशक मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे हैं। इसका कारण भी मौजूदा आर्थिक माहौल डांवाडोल नजर आ रहा है। मुद्रास्फीति बढ़ रही है, ब्याज दरें ऊंची है और मंदी का डर भी छिपा हुआ है। ऐसे समय में मल्टी एसेट फंड को स्थिर रिटर्न के लिए एक सुरक्षित दांव माना जाता है। मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वे होते है, जो अपनी पूंजी को इक्विटी, डेट और कमोडिटी जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं। नियम तो यह है कि फंड मैनेजर को इनमें से प्रत्येक एसेट क्लास में कम से कम 10 फीसदी कॉर्पस का निवेश करना होगा। लेकिन, क्या यह वास्तव में इसे एक सच्चा मल्टी एसेट फंड बनाता है? उदाहरण के लिए, जब शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति चल रही हो तो इक्विटी में 80 फीसदी और डेट तथा कमोडिटी में केवल 10 फीसदी का निवेश, फंड के प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

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पूर्वनिर्धारित तरीके से एसेट में निवेश

एक सच्चा मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वह है, जो ‘पूर्वनिर्धारित’ तरीके से सभी एसेट में निवेश करता है। पिछले एक साल में एसबीआई, टाटा और एचडीएफसी के मल्टी एसेट फंड ने 18.53 फीसदी, 18.18 फीसदी और 16.23 फीसदी का रिटर्न दिया, जबकि निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड ने 18.54 फीसदी का रिटर्न दिया। वित्तीय मामलों के योजना बनाने वाले एक्स्पर्ट्स निवेशकों को सलाह देते हैं कि उनके पोर्टफोलियो को एसेट क्लासेस में विविधता लाने की आवश्यकता है ताकि उतार- चढ़ाव के समय में भी न केवल उनका निवेश सुरक्षित रहे बल्कि उन्हें अच्छा रिटर्न भी मिले। इसके साथ ही मल्टी एसेट फंड चुनते समय, उन्हें ऐसे फंड में निवेश करना चाहिए, जो वाकई इसकी थीम के अनुरूप हो।

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एसेट क्लास का अनुपात मार्केट की परिस्थितियों के अनुरुप

एडवाइजर खोज के को-फाउंडर द्वैपायन बोस कहते है कि पूर्व-निर्धारित एसेट एलोकेशन सही विविधीकरण सुनिश्चित करता है और इसलिए एसेट क्लास का अनुपात मार्केट की परिस्थितियों के अनुसार नहीं बदलना चाहिए। निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड का उदाहरण लें। यह एकमात्र मल्टी एसेट फंड है, जो चार एसेट क्लासों में निश्चित अनुपात में निवेश करता है। यह भारत की इक्विटी ( ग्रोथ ) 9 पर 9 में 50 फीसदी, डेट (रिलेटिव स्टबिलिटी) में 15 फीसदी, कमोडिटीज में 15 फीसदी (इक्विटी के साथ कम जुड़ाव) और शेष 20 फीसदी विदेशी इक्विटी (ग्लोबल ग्रोथ की संभावनाओं) में निवेश करता है। 50:20:15:15 के एलोकेशन का यह फार्मूला (मार्केट की परिस्थितियां चाहे जैसी हो) इसे वास्तव में मल्टी एसेट फंड बनाता है। कोटक, यूटीआई और टाटा जैसे लगभग सभी अन्य मल्टी एसेट फंड अपने कॉर्पस को तीन एसेट क्लासों, इक्विटी, डेट और कमोडिटी में निवेश करते हैं और बड़े पैमाने पर एलोकेशन के फॉर्मूले का हमेशा पालन नहीं करते हैं।

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