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हुई थी बैठक
गुरुवार यानी आज ईपीएफओ के टॉप बॉडी सीबीटी की बैठक हुई थी, जिसमें श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार भी शामिल हुए थे। जिसमें मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पीएफ पर ब्याज दर को लेकर फैसला हुआ। इस फैसले में वित्त मंत्रालय से भी सहमति लेनी होती है। फाइनेंस मिनिस्ट्री की ओर से लगातार दबाव बन रहा था कि पीएफ सहित अन्य सभी छोटी बचत योजनाओं पर भी ब्याज दरों कम किया जाए।
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किस साल कितनी थी ब्याज दर
वित्तीय वर्ष | पीएफ पर ब्यार दर ( फीसदी में ) |
2018-19 | 8.65 |
2017-18 | 8.55 |
2016-17 | 8.65 |
2015-16 | 8.80 |
2014-15 | 8.75 |
2013-14 | 8.75 |
2012-13 | 8.50 |
रेवेन्यू से जूझ रही है सरकार
देश में ईपीएफओ की पीएफ योजनाओं में करीब 6 करोड़ कर्मचारी जुड़े हैं। जिसकी वजह से सरकार को भारी भरकम ब्याजदर की रकम ईपीएफ अंशधारकों को देनी होती। वहीं सरकार कुछ समय से रेवेन्यू से जूझ रही है। टैक्स कलेक्शन और विनिवेश दोनों से सरकार अपनी आय का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही है। ऐसे में सरकार की ओर से यह निर्णय लेना पड़ा। आने वाले दिनों में सरकार दूसरी बचत योजनाओं में भी इस तरह के फैसले ले सकती है।