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पहले भी कम हो चुकी हैं ब्याज दरें
– छोटी बचत योजनाओं में भी पहले भी आम लोगों को झटका लग चुका है।
– पीपीएफ की करें तो अप्रैल में 7.9 फीसदी से कम कर 7.1 फीसदी की गई थी।
– सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम की दर 8.6 फीसदी से घटकर 7.4 फीसदी रह गई थी।
– नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट की दरें 7.9 फीसदी से कम होकर 6.8 फीसदी कर दी गई थी।
– सुकन्या समृद्धि अकाउंट स्कीम की 8.4 फीसदी से घटकर 6.9 फीसदी रह गई थीं।
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46 साल के निचले स्तर पर जाएंगी दरें?
अंग्रेजी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पब्लिक प्रॉविडेंट फंड की ब्याज दरों में कटौती होती है ब्याज दरें 7 फीसदी से नीचे आकर 46 साल के निचले स्तर पर पहुंच सकती है। जानकारों ने इसका कारण बॉन्ड यील्ड में लगातार गिरावट को बताया है। मतलब साफ है कि स्मॉल सेविंग स्कीम की ब्याज दरों में कटौती संभव है। आपको बता दें कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें प्रत्येक तिमाही को जारी होती है।
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1974 के बद पहली बार
अगले सप्ताह में छोटी स्कीमों की ब्याज दरों में बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर ब्याज दरों में कटौती देखने को मिली तो साल 1974 के बाद पहली बार ऐसा होगा कि पीपीएफ की दरें 7 फीसदी से नीचे होंगी। छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर दर सरकार के बॉन्ड यील्ड से लिंक होती है। पीपीएफ की दर 10 साल के सरकारी बॉन्ड यील्ड से लिंक है। अप्रैल-जून तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्याज दर को 7.1 फीसदी रखा गया था।
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तो कम होगी ब्याज दरें?
अप्रैल 2020 में ब्याज दरों में बड़ी गिरावट की गई थी। एक अप्रैल से 10 साल के बॉन्ड यील्ड औसतन 6.07 फीसदी से मौजूदा समय में 5.85 फीसदी पर आ गई है। संकेत साफ है कि छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर को कम किया जा सकता है। इससे एनएससी और केवीपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन पीपीएफ और सुकन्या स्कीम के निवेश पर असर दिखाई देगा।