पुणे नगर निगम (PMC) ने शनिवार को तीन गर्भवती महिलाओं सहित शहर के पांच और लोगों में जीका संक्रमण की पुष्टि की। एक अधिकारी ने बताया कि शहर में जीका संक्रमण वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या अब पांच हो गई है।
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पुणे शहर में जीका का पहला मामला 20 जून को पता चला था, जब एक डॉक्टर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। एरंडवने के 46 वर्षीय डॉक्टर और उनकी 15 वर्षीय बेटी जीका से संक्रमित पाए गए। पीएमसी के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश दिघे ने कहा, एनआईवी (NIV) ने शुक्रवार देर रात तीन नए मामलों की पुष्टि की। हम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के दिशानिर्देशों के अनुसार केवल गर्भवती महिलाओं के रक्त के नमूने भेज रहे हैं। ये मामले मुंडवा, पाषण और अंबेगांव से हैं।
मुंडवा इलाके का मरीज मौजूदा जीका वायरस से संक्रमित मरीज के 100 मीटर के दायरे में रहता है। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारी पहले से मुंडवा और एरंडवने इलाके में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के नमूने ले रहे हैं। नगर पालिका डोर-टू-डोर सर्वे कर रही है।
ऐसे फैलता है जीका वायरस
जीका वायरस मुख्य रूप से संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। हालाँकि यह कोई गंभीर संक्रमण नहीं है, लेकिन अगर यह गर्भवती महिला को संक्रमित कर दे तो यह भ्रूण के लिए खतरनाक हो सकता है। जीका वायरस यौन संबंध बनाने पर भी फैल सकता है। इसके अलावा कुछ दुर्लभ मामलों में जीका वायरस संक्रमित खून चढ़ाने से भी फैला है। हालांकि जीका से संक्रमित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। हालांकि जिन लोगों में जीका के लक्षण होते हैं, उनमें हल्का बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द, आँख आना और सिरदर्द होना आम बात हैं।
गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
जीका वायरस के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं के भ्रूण पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस का संक्रमण गंभीर जन्म दोष का कारण बन सकता है। इसमें समय से पहले बच्चे का जन्म और गर्भपात के अलावा नवजात शिशुओं में माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विकृतियां होने का खतरा होता हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं के जीका वायरस से संक्रमित होने पर नवजात शिशुओं पर असर पड़ने की संभावना होती है। नवजात शिशुओं में आंखों की समस्या, सुनने की क्षमता में कमी जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कई मामलों में मस्तिष्क के असामान्य विकास के कारण बच्चे का सिर बहुत छोटा होता है।