मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के रवींद्र वायकर महज 48 वोटों के अंतर से जीते हैं। वायकर ने बेहद करीबी मुकाबले में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को हराया है। कांटे की टक्कर में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के रवींद्र वायकर ने उद्धव गुट के अमोल कीर्तिकर को केवल 48 वोटों से हराया, जो राज्य में हार-जीत का सबसे कम अंतर है। हालांकि, उद्धव गुट इस नतीजे को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कीर्तिकर दोपहर तक ईवीएम मतों की गिनती में अधिकांश आगे ही रहे, लगभग 4 बजे तक वह 1700 वोटों के अंतर के साथ बढ़त बनाये हुए थे। लेकिन कुछ देर में पासा पलट गया। उनकी बढ़त घटकर महज एक वोट रह गई। इसके बाद जब डाक मतपत्र जोड़े गए तो जीत वायकर की होने लगी।
इसके बाद दोनों उम्मीदवारों ने दोबारा मतगणना के लिए रिटर्निंग ऑफिसर से अपील की। जिसके बाद नियम के मुताबिक चुनाव अधिकारी ने 111 अवैध या अस्वीकृत डाक मतपत्रों की दोबारा जांच की। बता दें कि यदि डाक मतपत्र पर गलत तरीके से निशान लगाया गया हो या फटा हो तो वह अमान्य करार दिया जाता है। हालांकि ऐसे वोटों (अमान्य वाले) को तब जाँचा जाता है जब ईवीएम द्वारा मिले मतों में जीत का अंतर अमान्य डाक वोटों की संख्या से कम हो। लेकिन चुनाव अधिकारियों ने उन वोटों को अवैध ही माना, जिससे वायकर को मामूली अंतर से जीत मिल गयी।
चुनाव आयोग के अंतिम नतीजे के अनुसार, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के अमोल कीर्तिकर को कुल 4,52,596 वोट मिले, जबकि शिवसेना के रवींद्र वायकर को 4,52,644 वोट मिले।
कौन है रवींद्र वायकर?
मालूम हो कि कथित जमीन घोटाले से जुड़े मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे रवींद्र वायकर कुछ महीने पहले ही उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ शिंदे खेमे में आये है। अमोल कीर्तिकर के पिता गजानन कीर्तिकर भी शिंदे गुट के साथ हैं और मुंबई उत्तर-पश्चिम से 2019 में सांसद चुने गए। उद्धव के विश्वासपात्र माने जाने वाले वायकर वर्तमान में मुंबई के जोगेश्वरी (पूर्व) से विधायक हैं। इसी साल जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वायकर से जुड़े कई ठिकानों पर छापा मारा था। वायकर बीएमसी के पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष, चार बार पार्षद और चार बार जोगेश्वरी से विधायक रहे हैं।