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बायो-बिटुमेन आधारित देश के पहले नेशनल हाईवे का उद्घाटन, जानें पूरी डिटेल

Bio-Bitumen Based National Highway: केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में देश के पहले बायो-बिटुमेन आधारित नेशनल हाईवे का उद्घाटन किया। फसल अवशेषों से बने कोलतार से बना यह देश का पहला नेशनल हाईवे है।

मुंबईDec 21, 2024 / 04:24 pm

Vishnu Bajpai

Bio-Bitumen Based National Highway: केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को नागपुर के मनसर में देश के पहले बायो-बिटुमेन आधारित राष्ट्रीय राजमार्ग का उद्घाटन किया। मनसर में राष्ट्रीय राजमार्ग 44 स्थित मनसर- नागपुर बाईपास पर बने इस हाईवे का निर्माण फसल अवशेषों से बने कोलतार के उपयोग से किया गया है। देश में अपनी तरह का यह पहला नेशनल हाईवे है।
लिग्निन की मदद से बायो-बिटुमेन तकनीक का उपयोग कर महाराष्ट्र के नागपुर में देश का पहला नेशनल हाईवे बनाया गया है। शनिवार को इस हाईवे के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहा “हमारा लक्ष्य है कि किसान भविष्य में हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम हों।”

इथेनॉल की कीमत अब 24 सौ रुपये प्रति क्विंटल

केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आगे कहा “जब सरकार ने मकई से इथेनॉल बनाने का निर्णय लिया तो उस समय मकई की कीमत 1,200 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसके बाद जब हमने इससे इथेनॉल का उत्पादन शुरू किया तो इथेनॉल की कीमत बढ़कर 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इससे किसान को आर्थिक रूप से मजबूती मिली है।”
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क्या होता है बायो-बिटुमेन?

बायो-बिटुमेन नवीकरणीय स्रोतों से मिलने वाला एक जैव-आधारित बाइंडर है। इसका इस्तेमाल सड़कों और छतों के निर्माण में किया जाता है। बायो-बिटुमेन का इस्तेमाल करने से पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने धान के भूसे से बायो-बिटुमेन विकसित किया है। एक टन पराली से 30 प्रतिशत जैव-कोलतार, 350 किलो बायो गैस, और 350 किलो बायोचार निकलता है। पराली से बना कोलतार, पेट्रोलियम आधारित कोलतार से सस्ता होता है।

लिग्निन का एक स्थायी बाइंडर के रूप में इस्तेमाल बड़ी सफलता

नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया एक्स पर बताया “इस एनएच खंड का विकास सीएसआईआर-सीआरआरआई (CSIR-CRRI), एनएचएआई (NHAI) और ओरिएंटल (Oriental) के सहयोग से प्राज इंडस्ट्रीज ने लिग्निन आधारित जैव-बिटुमेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किया है। लिग्निन का एक स्थायी बाइंडर के रूप में इस्तेमाल लचीले पेवमेंट टेक्नोलॉजी (फुटपाथ प्रौद्योगिकी) में एक बड़ी सफलता है। जो बिटुमेन की कमी को दूर करेगा और आयात पर भारत की निर्भरता को कम करेगा। जो इस समय आपूर्ति का 50 प्रतिशत है।”

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में होगी 70 प्रतिशत कटौती

गडकरी ने आगे बताया “यह इनोवेशन जैव-रिफाइनरियों के लिए राजस्व पैदा करके, पराली जलाने को कम करके और जीवाश्म-आधारित बिटुमेन की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कम से कम 70 प्रतिशत की कटौती करेगा। जो वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करता है। प्रचुर मात्रा में लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास का लाभ उठाते हुए, यह टिकाऊ औद्योगिक विकास के लिए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।”

ग्रीन टेक्नोलॉजी और औद्योगिक स्थिरता बढ़ाने के लिए बड़ी पहल

केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आगे लिखा “ग्रीन टेक्नोलॉजी में प्रगति और औद्योगिक स्थिरता को बढ़ावा देने के जरिए यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोजी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। जो बड़े पैमाने पर घरेलू उत्पादन और आत्मनिर्भर टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है।”

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