‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने उद्धव ठाकरे का इंटरव्यू किया है। इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के अगुवाई वाले शिवसेना के विद्रोहियों की जमकर आलोचना की और बीजेपी को भी आड़े हाथों लिया है। इस इंटरव्यू के बाद एक बार फिर शिंदे खेमे और उद्धव ठाकरे के बीच तनातनी देखने को मिल रही है।
सड़े हुए पत्तों का झड़ना जरूरी
उद्धव ठाकरे ने इंटरव्यू में कहा “मैंने एक बार अपने मन में कह रहा था.. जब मैं ‘वर्षा’ में रह रहा था तब मैंने अनुभव किया था। इस घर के परिसर में दो पेड़ हैं। एक गुलमोहरा का और दूसरा बादाम का। मैं दोनों पेड़ों को पिछले दो साल से देख रहा हूं। जिसे हम पत्तेदार कहते हैं। इसमें पत्ते पूरी तरह से गिर जाते हैं। सिर्फ लकड़ी ही रह जाती है। हम सोचते है, अरे इस पेड़ को क्या हो गया है?”
यह भी पढ़ें
शिंदे-फडणवीस सरकार ने MVA का एक और फैसला पलटा, पर्यटन विभाग के 59 हजार 610 करोड़ के विकास कार्य पर लगाई रोक
सड़े हुए पत्तों का झड़ना जरूरी
उद्धव ठाकरे ने इंटरव्यू में कहा “मैंने एक बार अपने मन में कह रहा था.. जब मैं ‘वर्षा’ में रह रहा था तब मैंने अनुभव किया था। इस घर के परिसर में दो पेड़ हैं। एक गुलमोहरा का और दूसरा बादाम का। मैं दोनों पेड़ों को पिछले दो साल से देख रहा हूं। जिसे हम पत्तेदार कहते हैं। इसमें पत्ते पूरी तरह से गिर जाते हैं। सिर्फ लकड़ी ही रह जाती है। हम सोचते है, अरे इस पेड़ को क्या हो गया है?”
उन्होंने आगे कहा “परन्तु दो-तीन दिन में नए अंकुर निकल आते हैं, मैं देखता हूं, आठ से दस दिनों में वह बादाम का पेड़ फिर से हरा हो जाता है। इसी तरह गुलमोहर भी हरा हो गया। तो ये सड़े हुए पत्ते हैं जिन्हें झड़ना ही चाहिए। जो पत्ते झड़ जाते हैं वे सड़े हुए पत्ते होते हैं। उन्हें जाने दो..”
नए अंकुर फूट रहे
उन्होंने बागियों पर निशाना साधते हुए कहा “सड़े हुए पत्ते गिर जाते हैं। जिन्हें पेड़ से सब कुछ मिला, उन्हें सारा रस मिला, तो उनमें ताजगी आई। वो पत्ते पेड़ के सभी पत्ते लेकर गिर जाते हैं। और वे यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि पेड़ कैसे उजाड हो गया है। लेकिन अगले दिन माली आता है, उन पत्तों को कचरे में लेकर जाता है। अभी झड़ी, सड़ी पत्तियों को फेंकने की प्रक्रिया जारी है? अब नए अंकुर फूटने लगे हैं।“
बता दें कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को बीते महीने वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा। पार्टी के अधिकतर विधायकों ने शिंदे का पक्ष लिया, जिससे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई। जिसके चलते उद्धव ठाकरे को 29 जून को सीएम की कुर्सी से हटना पड़ा। जिसके बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। फ़िलहाल शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच असली शिवसेना को लेकर तनातनी बनी हुई है और मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की चौखट पर है।