सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 11 मई को महाराष्ट्र के सियासी संकट पर निर्णय सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से एकनाथ शिंदे सहित 16 बागी शिवसेना विधायकों के भाग्य का फैसला करने के लिए कहा था, जिन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था।
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अपनी याचिका में उद्धव गुट के नेता सुनील प्रभु ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के अपने फैसले में स्पीकर से लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर उचित अवधि के भीतर फैसला करने को कहा था, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। प्रभु ने कहा कि वह पहले ही स्पीकर को तीन ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पिछले साल जून महीने में एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था, जिस वजह से महाविकास अघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। एमवीए सरकार में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल थी। शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना में विभाजन हो गया।
जिसके बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों (बागी) के समर्थन से बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। उद्धव गुट द्वारा दायर नई याचिका एनसीपी नेता अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल सहित आठ एनसीपी विधायकों के अचानक बगावत करने के बाद दायर की गई। एनसीपी का अजित पवार खेमा शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन दे रहा है।
हालांकि शरद पवार ने एनसीपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे सहित पांच नेताओं को निष्कासित कर दिया। वहीं एनसीपी ने एकनाथ शिंदे कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार और 8 अन्य विधायकों को औपचारिक रूप से अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर के समक्ष याचिका दायर की है।