अधिकारियों के सांठगांठ की आशंका
करोड़ों रुपए वर्षों से बकाया होने के बाद भी इन डेवलपर्स पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि वे अपने दूसरे प्रोजेक्ट पर म्हाडा से मदद ही लेते रहे। म्हाडा अधिकारियों की मेहरबानी से उनके किसी प्रोजेक्ट में अड़चन नहीं आई। यहां तक कि उन्हें किसी भी मामले में काली सूची में भी नहीं डाला गया। महालक्ष्मी डेवलपर्स ने 1999 में म्हाडा की ओर से मालवणी, मागाठाणे, दहिसर में 142 ट्रांजिट कैंप लिए थे, लेकिन 20 साल बाद भी अधिकारियों से साठगांठ के चलते 30.13 करोड़ आज तक नहीं चुकाया है। वहीं दूसरे नंबर पर मयूर डेवलपर्स का नाम आता है, जिन्होंने प्रतीक्षा नगर-सायन, ज्ञानेश्वर नगर और वडाला में 83 ट्रांजिट कैंप वर्ष 2000 में लिए थे, लेकिन 19 साल बाद भी डेवलपर की ओर से अधिकारियों से मिलीभगत के चलते करीब 10.92 करोड़ आज भी बकाया है। म्हाडा के ट्रांजिट कैंपों का बकाया चुकाने वाले एक-दो नहीं, बल्कि करीब 43 लोग हैं, जिनकर सैकड़ों करोड़ रुपए वर्षों से बाकी है। केकेएस डेवलपर्स पर वर्ष 1998 से 6.81 करोड़ रुपए बाकी है, इन्होंने भातर नगर में म्हाडा के 50 ट्रांजिट कैंप लिए थे, जिनमें से 31 का भरपूर उपयोग भी किया। लेकिन आज तक डेवलपर की ओर से म्हाडा को एक भी रुपया चुकाया नहीं गया। पंक्ति (शिवनेरी) ने 125 ट्रांजिट कैंप लिए थे, जिन्होंने 1998 के बाद से 6.74 करोड़ रुपया अभी तक म्हाडा को नहीं भरा है। जानकी डेवलपर्स की बात करें तो इन्होंने प्रतीक्षा नगर में वर्ष 2001 में 70 ट्रांजिट कैंप लिए थे, जबकि 18 साल बाद भी अधिकारियों से मिलीभगत के चलते जानकी पर 6.69 करोड़ रुपए बाकी हैं। कुछ ऐसा ही हाल हरे कृष्णा चापसी बिल्डिंग का भी है, इन्होंने 2014 में 135 कैंप लिए थे, जिसमें से एक के अलावा 134 ट्रांजिट कैंपों पर आज तक 6.37 करोड़ रुपए बाकी हैं। एमबी कंस्ट्रक्शन पर भी 117 ट्रांजिट कैंपों का करीब 5.99 करोड़ बकाया है। आरआर बिल्डर्स पर भी वर्ष 2013 से 87 ट्रांजिट कैंपों को 5.87 करोड़ रुपया बाकी है।
करोड़ों रुपए वर्षों से बकाया होने के बाद भी इन डेवलपर्स पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि वे अपने दूसरे प्रोजेक्ट पर म्हाडा से मदद ही लेते रहे। म्हाडा अधिकारियों की मेहरबानी से उनके किसी प्रोजेक्ट में अड़चन नहीं आई। यहां तक कि उन्हें किसी भी मामले में काली सूची में भी नहीं डाला गया। महालक्ष्मी डेवलपर्स ने 1999 में म्हाडा की ओर से मालवणी, मागाठाणे, दहिसर में 142 ट्रांजिट कैंप लिए थे, लेकिन 20 साल बाद भी अधिकारियों से साठगांठ के चलते 30.13 करोड़ आज तक नहीं चुकाया है। वहीं दूसरे नंबर पर मयूर डेवलपर्स का नाम आता है, जिन्होंने प्रतीक्षा नगर-सायन, ज्ञानेश्वर नगर और वडाला में 83 ट्रांजिट कैंप वर्ष 2000 में लिए थे, लेकिन 19 साल बाद भी डेवलपर की ओर से अधिकारियों से मिलीभगत के चलते करीब 10.92 करोड़ आज भी बकाया है। म्हाडा के ट्रांजिट कैंपों का बकाया चुकाने वाले एक-दो नहीं, बल्कि करीब 43 लोग हैं, जिनकर सैकड़ों करोड़ रुपए वर्षों से बाकी है। केकेएस डेवलपर्स पर वर्ष 1998 से 6.81 करोड़ रुपए बाकी है, इन्होंने भातर नगर में म्हाडा के 50 ट्रांजिट कैंप लिए थे, जिनमें से 31 का भरपूर उपयोग भी किया। लेकिन आज तक डेवलपर की ओर से म्हाडा को एक भी रुपया चुकाया नहीं गया। पंक्ति (शिवनेरी) ने 125 ट्रांजिट कैंप लिए थे, जिन्होंने 1998 के बाद से 6.74 करोड़ रुपया अभी तक म्हाडा को नहीं भरा है। जानकी डेवलपर्स की बात करें तो इन्होंने प्रतीक्षा नगर में वर्ष 2001 में 70 ट्रांजिट कैंप लिए थे, जबकि 18 साल बाद भी अधिकारियों से मिलीभगत के चलते जानकी पर 6.69 करोड़ रुपए बाकी हैं। कुछ ऐसा ही हाल हरे कृष्णा चापसी बिल्डिंग का भी है, इन्होंने 2014 में 135 कैंप लिए थे, जिसमें से एक के अलावा 134 ट्रांजिट कैंपों पर आज तक 6.37 करोड़ रुपए बाकी हैं। एमबी कंस्ट्रक्शन पर भी 117 ट्रांजिट कैंपों का करीब 5.99 करोड़ बकाया है। आरआर बिल्डर्स पर भी वर्ष 2013 से 87 ट्रांजिट कैंपों को 5.87 करोड़ रुपया बाकी है।
डेवलपर्स बकाया
– महालक्ष्मी 30.13 करोड़ रुपए
– मयूर 10.92 करोड़ रुपए
– केकेएस 6.81 करोड़ रुपए
– शिवनेरी 6.74 करोड़ रुपए
– जानकी 6.69 करोड़ रुपए
– एमवी कंस्ट्रक्शन 5.99 करोड़ रुपए शुरू है जांच प्रक्रिया
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसमें आयकर विभाग की मदद ली जा रही है। अभी तक 13 बिल्डरों पर एफआईआर दर्ज की गई है। उन निजी डेवलपर्स की संपत्ति की खोज की जाएगी, जिसके बाद म्हाडा की ओर से आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। उम्मीद है कि इस प्रक्रिया से म्हाडा पर बकाया अधिकाधिक रुपया वापस मिल जाएगा। जांच की प्रक्रिया शुरू है।
– विनोद घोसालकर, चेयरमैन, रिपेयर बोर्ड