नकाब पहनने पर रोक बरकरार
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चेहरे को ढकने वाले पर्दे की क्लास में अनुमति नहीं होगी। इसलिए शीर्ष कोर्ट ने कॉलेज के नकाब के इस्तेमाल को रोकने वाले निर्देश के उस हिस्से में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। साथ ही आदेश में पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर इस रोक का कोई दुरुपयोग करता है तो कॉलेज प्रशासन आदेश में संशोधन की मांग कर सकता है। बीते जून महीने में हाईकोर्ट ने कॉलेज कैंपस में हिजाब, बुर्का और नकाब आदि पहनने पर प्रतिबंध लगाने के एनजी आचार्य कॉलेज (NG Acharya College) और डीके मराठे कॉलेज (DK Marathe College) के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस एएस चंदूरकर और जस्टिस राजेश पाटिल की हाईकोर्ट खंडपीठ ने साइंस डिग्री कोर्स की दूसरे और तीसरे वर्ष की नौ छात्राओं द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद तीन छात्राओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हिजाब बैन पर रोक- SC
तीन मुस्लिम छात्राओं- ज़ैनब अब्दुल कय्यूम चौधरी, नजरीन बानो मोहम्मद तंजीम शेख और नजनीन मजहर अंसारी द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका पर शुक्रवार दोपहर को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने सुनवाई की।इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चेंबूर कॉलेज के सर्कुलर पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज को नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई नवंबर तक के लिए टाल दी है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं की तरफ से मामले पर शीघ्र निर्णय लेने की अपील की गई थी। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि वें जिस कॉलेज में पढ़ती हैं, उसके कैंपस में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध है। इसलिए वह आगामी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगी।
कॉलेज प्रशासन ने कैंपस में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी, बैज आदि पहनने पर प्रतिबंध लगाते हुए एक ड्रेस कोड लागू किया है। इसके खिलाफ कुछ छात्राओं ने हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
ड्रेस कोड हर धर्म के छात्रों के लिए है- कॉलेज
याचिकाकर्ता छात्राओं ने दावा किया था कि नई ड्रेस कोड पॉलिसी ने उनके धर्म, गोपनीयता और पसंद का पालन करने के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। याचिका में कॉलेज की इस कार्रवाई को मनमाना, अनुचित और विकृत करार दिया गया। हालांकि कॉलेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट में ये दलील पेश कि की यह प्रतिबंध एक अनुशासनात्मक कदम है, जिसका उद्देश्य एक समान ड्रेस कोड लागू करना है और इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को टारगेट करना नहीं है। यह ड्रेस कोड सभी छात्रों पर लागू होता है, चाहे उनकी जाति और धर्म कुछ भी हो।
UGC में की शिकायत
बता दें कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल से प्रतिबंध को रद्द करने का अनुरोध किया था। इसके पीछे तर्क दिया था कि इससे कक्षा में उनकी पसंद, गरिमा और गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन होगा। छात्राओं ने इस मामले में मुंबई यूनिवर्सिटी के चांसलर और वाइस चांसलर के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से भी हस्तक्षेप की मांग की थी। लेकिन अपनी शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।