गुजरात की सीमा के करीब पालघर जिले में कोविड-19 लॉकडाउन के समय रात में यात्रा कर रहे कुछ साधुओं की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार की जमकर आलोचना हुई थी। इस मामले की जांच अब सीबीआई को सौंपे जाने का रास्ता साफ़ हो गया है।
भीड़ ने पार की थी क्रूरता की सारी हदें
महाराष्ट्र के पालघर जिले के कासा थाना क्षेत्र के गडचिंचले गांव (Gadchinchile Village) के पास 16 अप्रैल 2020 को बच्चा चोर होने के संदेह में ग्रामीणों की भीड़ ने गाड़ी से जा रहे कुछ लोगों पर हमला कर दिया था। इस घटना में अंतिम संस्कार के लिए गुजरात जा रहे दो साधुओं और उनके ड्राइवर की लाठी-डंडों व पत्थरों से मार-मार कर हत्या कर दी गई थी।
यह भी पढ़ें
Palghar: साधुओं की मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई के हाथ! शिंदे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। मालूम हो कि पालघर पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद इसे राज्य अपराध शाखा को सौंप दिया था। इस मामले में पुलिस ने 100 से ज्यादा ग्रामीणों को पकड़ा था।भीड़ ने पार की थी क्रूरता की सारी हदें
महाराष्ट्र के पालघर जिले के कासा थाना क्षेत्र के गडचिंचले गांव (Gadchinchile Village) के पास 16 अप्रैल 2020 को बच्चा चोर होने के संदेह में ग्रामीणों की भीड़ ने गाड़ी से जा रहे कुछ लोगों पर हमला कर दिया था। इस घटना में अंतिम संस्कार के लिए गुजरात जा रहे दो साधुओं और उनके ड्राइवर की लाठी-डंडों व पत्थरों से मार-मार कर हत्या कर दी गई थी।
दोनों साधु राज्यव्यापी लॉकडाउन के बीच मुंबई के कांदिवली (Kandivali) से गुजरात के सूरत (Surat) में अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। इस घटना के कई वीडियो वायरल हुए। जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हिंसक भीड़ ने पीड़ितों को मौत के घाट उतारा था।