राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार के गुट की ओर से शिरडी में दो दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर में एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने विवादित टिप्पणी की। शरद पवार गुट के बड़े नेता आव्हाड ने दावा किया कि भगवान राम शाकाहारी नहीं थे।
‘राम के आदर्श पर चल रहे हैं हम’
अहमदनगर जिले के शिरडी में एनसीपी (शरद पवार गुट) के दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आव्हाड ने कहा, “राम शाकाहारी नहीं, बल्कि मांसाहारी थे। उन्होंने 14 वर्ष वनवास में बिताया था। फिर वे शाकाहारी कैसे हो सकते हैं?”
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‘राम के आदर्श पर चल रहे हैं हम’
अहमदनगर जिले के शिरडी में एनसीपी (शरद पवार गुट) के दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आव्हाड ने कहा, “राम शाकाहारी नहीं, बल्कि मांसाहारी थे। उन्होंने 14 वर्ष वनवास में बिताया था। फिर वे शाकाहारी कैसे हो सकते हैं?”
जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “शिकार करके खाने वाले राम हमारे हैं। आज हम मटन खाते हैं। राम बहुजनों के हैं। हम राम के पदचिन्हों पर चलते हैं।“
शिकार करके खाते थे राम- आव्हाड
एनसीपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आव्हाड ने कहा, “राम हमारे हैं, वे बहुजनों के हैं। राम शिकार करते थे और मांस खाते थे। आप हमें शाकाहारी बनाना चाहते हैं। लेकिन हम राम के आदर्श पर चल रहे हैं और मांसाहारी भोजन कर रहे हैं। 14 साल तक वनवास में रहने वाले व्यक्ति को शाकाहारी भोजन कहां से मिलेगा?”
शिकार करके खाते थे राम- आव्हाड
एनसीपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आव्हाड ने कहा, “राम हमारे हैं, वे बहुजनों के हैं। राम शिकार करते थे और मांस खाते थे। आप हमें शाकाहारी बनाना चाहते हैं। लेकिन हम राम के आदर्श पर चल रहे हैं और मांसाहारी भोजन कर रहे हैं। 14 साल तक वनवास में रहने वाले व्यक्ति को शाकाहारी भोजन कहां से मिलेगा?”
‘मेरा बयान विवादित नहीं’
अपने संबोधन के बाद जितेंद्र आव्हाड ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, ”मैंने कोई विवादित बयान नहीं दिया है। मैं अपने बयान पर कायम हूं। श्रीराम को शाकाहारी बनाया जा रहा है। लेकिन क्या वनवास के दौरान उन्होंने मेथी की सब्जी खाई थी? इस देश में 80 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और वे राम भक्त हैं।“
अपने बयान का समर्थन करते हुए आव्हाड ने मानवशास्त्र (एंथ्रोपोलॉजी) का हवाला दिया। उन्होंने कहा, हजारों साल पहले, जब कुछ भी नहीं उगाया जाता था, तब सभी लोग मांसाहारी थे।
चुनाव के लिए राम नाम की घोषणा-आव्हाड
सत्तारूढ़ दलों की आलोचना करते हुए आव्हाड ने कहा, ”हमारे मुंह में राम और मन में रावण नहीं है। राम किसी के पिता के नहीं हैं… अचानक पिछले छह महीनों से महाराष्ट्र में सामाजिक अशांति फैल गई है। जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव आते हैं तो राम नाम का उद्घोष होता है और दूसरी ओर सामाजिक अशांति फैलती है।”
चुनाव के लिए राम नाम की घोषणा-आव्हाड
सत्तारूढ़ दलों की आलोचना करते हुए आव्हाड ने कहा, ”हमारे मुंह में राम और मन में रावण नहीं है। राम किसी के पिता के नहीं हैं… अचानक पिछले छह महीनों से महाराष्ट्र में सामाजिक अशांति फैल गई है। जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव आते हैं तो राम नाम का उद्घोष होता है और दूसरी ओर सामाजिक अशांति फैलती है।”