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उद्धव ठाकरे को झटका, एकनाथ शिंदे गुट को मिला ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष-बाण’ निशान

Eknath Shinde Group As Official Shiv Sena : एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ पिछले साल जून में बगावत कर दी थी और दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 का समर्थन है।

मुंबईFeb 17, 2023 / 08:14 pm

Dinesh Dubey

एकनाथ शिंदे के हाथ भी नहीं आई शिवसेना

Election Commission Verdict: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे को शुक्रवार को तगड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने आज आदेश दिया है कि ‘शिवसेना’ पार्टी नाम और उसका चिन्ह ‘धनुष-बाण’ एकनाथ शिंदे गुट द्वारा रखा जाएगा। चुनाव आयोग ने आज अपने आदेश में कहा, “भारत के चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है। इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है।“

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शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों ने 20 जनवरी को चुनाव आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं। दोनों पक्षों ने अपने दावे का समर्थन करने के लिए आठ महीनों में आयोग को हजारों दस्तावेज सौंपे और तीन मौकों पर चुनाव आयोग के समक्ष अपने संबंधित मामलों पर बहस की।

चुनाव आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके पास शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 का समर्थन है।


गौरतलब हो कि एकनाथ शिंदे ने पिछले साल जून में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी जिसके बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई। इस विद्रोह के बाद महाराष्ट्र में ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार गिर गई थी और शिंदे बीजेपी के समर्थन से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे।

इस के बाद शिंदे समूह ने शिवसेना पर दावा किया और खुद को असली शिवसेना बताते हुए चुनाव आयोग और देश की शीर्ष कोर्ट में क़ानूनी लड़ाई शुरू की। तब चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और मशाल निशान दिया था, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को ‘बालासाहेबबांची शिवसेना’ और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया था।


चुनाव आयोग ने 8 अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें दोनों खेमे को ‘शिवसेना’ पार्टी के नाम और उसके चिन्ह का उपयोग करने से रोक दिया गया। आयोग ने आदेश में कहा था कि जब तक कि यह तय नहीं हो जाता कि दो प्रतिद्वंद्वी गुटों में से कौन असली शिवसेना है, तब तक पार्टी के नाम और निशान के इस्तेमाल पर रोक लागू रहेगी।

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