मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट ने समता पार्टी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यानी अब आगामी अंधेरी पूर्व उपचुनाव में उद्धव ठाकरे की पार्टी (शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे) का चुनाव चिन्ह निर्वाचन आयोग द्वारा आवंटित की गई जलती मशाल ही रहेगी।
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समता पार्टी की याचिका पर सुनवाई करते जस्टिस संजीव नरूला (Sanjeev Narula) ने देखा कि समता पार्टी ‘मशाल’ चिन्ह पर अपने किसी भी अधिकार साबित करने में विफल रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 2004 में समता पार्टी की मान्यता समाप्त कर दी गई थी। समता पार्टी की स्थापना 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस (George Fernandes) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने की थी। गौरतलब है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने 3 नवंबर को अंधेरी उपचुनाव को देखते हुए शिवसेना के दोनों गुटों (उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे) को नया नाम और निशान आवंटित किया। उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे और मशाल निशान मिला, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबांची शिवसेना और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया गया। चुनाव आयोग के इस निर्णय के बाद ‘मशाल’ चुनाव चिन्ह पर समता पार्टी ने अपना दावा ठोका था। और सवाल उठाया कि जब उनकी पार्टी का ‘मशाल’ पहले से ही चुनाव चिन्ह है तो इसे उद्धव ठाकरे गुट को कैसे दिया जा सकता है। इससे एक नया विवाद पैदा हो गया था।