यह बात आपको हैरान कर देगी कि जिस गांव के मंदिर में रावण की पूजा की जाती है वह गांव किसी दक्षिणी राज्य में नहीं है। बल्कि यह महाराष्ट्र के अकोला जिले में स्थित है। जहां पूरी श्रद्धा के साथ रावण की पूजा और आरती की जाती है।
350 साल पुरानी परंपरा
यह गांव अकोला से 50 किमी दूर पातूर तालुका का सांगोला है। इस गांव की शुरुआत में ही मंदिर मे रावण की बेहद खूबसूरत एकरेखीय मूर्ति है। इस मूर्ति के गांव में आने की एक अपनी कहानी है। यह परंपरा करीब साढ़े तीन सौ साल से ग्रामीण निभा रहे है।
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350 साल पुरानी परंपरा
यह गांव अकोला से 50 किमी दूर पातूर तालुका का सांगोला है। इस गांव की शुरुआत में ही मंदिर मे रावण की बेहद खूबसूरत एकरेखीय मूर्ति है। इस मूर्ति के गांव में आने की एक अपनी कहानी है। यह परंपरा करीब साढ़े तीन सौ साल से ग्रामीण निभा रहे है।
इस गांव में रावण के मंदिर के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं। इन देवताओं की पूजा के साथ-साथ ग्रामीण श्रद्धापूर्वक रावण की भी पूजा करते हैं। रावण की मूर्ति को देखने के लिए कई लोग बाहर से भी आते हैं। दशहरे के दिन पूरा सांगोला गांव रावण की पूजा में रंगा रहता है।
मंदिर का होगा जीर्णोद्धार
बताया जा रहा है कि साढ़े तीन सौ साल से इस गांव में रावण की मूर्ति की पूजा की जा रही है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। अब विधायक अमोल मिटकरी ने अब गांव में रावण के मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है।
क्यों होती है पूजा?
ग्रामीण दशहरा और रामनवमी के दौरान रावण की विशेष आरती करते है, कार्यक्रम का आयोजन होता हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक बार कुछ बाहरी लोगों ने इस मूर्ति को चुराने का प्रयास किया था, लेकिन वह रावण की मूर्ति को जगह से उठा ही नहीं सके।
मंदिर का होगा जीर्णोद्धार
बताया जा रहा है कि साढ़े तीन सौ साल से इस गांव में रावण की मूर्ति की पूजा की जा रही है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। अब विधायक अमोल मिटकरी ने अब गांव में रावण के मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है।
क्यों होती है पूजा?
ग्रामीण दशहरा और रामनवमी के दौरान रावण की विशेष आरती करते है, कार्यक्रम का आयोजन होता हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक बार कुछ बाहरी लोगों ने इस मूर्ति को चुराने का प्रयास किया था, लेकिन वह रावण की मूर्ति को जगह से उठा ही नहीं सके।
ग्रामीणों ने लोगों से दशहरे पर रावण दहन नहीं करने की अपील भी की। उनका कहना है कि रावण में अवगुणों के साथ-साथ बहुत से सद्गुण भी थे। हालाँकि, आज भी देशभर में रावण के गुणों को नजरअंदाज कर पुतला जलाया जाता है।
रावण दहन पर रोक लगाने की मांग
एनसीपी (अजित पवार गुट) विधायक अमोल मिटकरी ने सांगोला गांव का दौरा किया और रावण मंदिर के निर्माण के लिए पहल की। उन्होंने मंदिर में सभागृह बनाने के लिए विधायक निधि से 20 लाख रुपये दिए। हाल ही में इस काम के लिए भूमिपूजन भी किया गया। एनसीपी नेता मिटकरी ने सरकार से राज्य में रावण दहन की प्रथा पर रोक लगाने की मांग की है।
रावण दहन पर रोक लगाने की मांग
एनसीपी (अजित पवार गुट) विधायक अमोल मिटकरी ने सांगोला गांव का दौरा किया और रावण मंदिर के निर्माण के लिए पहल की। उन्होंने मंदिर में सभागृह बनाने के लिए विधायक निधि से 20 लाख रुपये दिए। हाल ही में इस काम के लिए भूमिपूजन भी किया गया। एनसीपी नेता मिटकरी ने सरकार से राज्य में रावण दहन की प्रथा पर रोक लगाने की मांग की है।