जानकारी के मुताबिक, आज शाम मुंबई के वर्ली श्मशान घर में रतन टाटा का ‘अग्निदाह’ से अंतिम संस्कार होगा. रतन टाटा पारसी थे, फिर भी उनका अंतिम संस्कार पारसियों के दोखमेनाशिनी (Dokhmenashini) परंपरा से नहीं किया जाएगा। कुछ देर में दिवंगत उद्योगपति का अंतिम संस्कार वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह में होगा।
मालूम हो कि पारसी समुदाय में मृत्यु के बाद शव की अंतिम संस्कार की प्रकिया को दोख्मा कहा जाता है। पारसियों में शव को न ही हिंदुओं की तरह जलाया जाता है, ना ही मुसलमानों व ईसाईयों की तरह दफनाया जाता है। इसके बजाया पारसी धर्म में शव को पारंपरिक कब्रिस्तान, जिसे टावर ऑफ साइलेंस या दखमा कहते हैं, वहां खुले स्थान पर आसमान के नीच रख दिया जाता है। जहां पर गिद्ध आकर शव को खा जाते हैं। पारसियों के अंतिम संस्कार की इस प्रक्रिया को ‘दोखमेनाशिनी’ कहा जाता है। हालांकि रतन टाटा का पारसी ढंग से अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा, बल्कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया विद्युत शवदाह में पूरी की जाएगी।
पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है। आज सुबह दिग्गज उद्योगपति के पार्थिव शरीर को उनके घर से दक्षिण मुंबई स्थित ‘राष्ट्रीय प्रदर्शन कला केंद्र’ (एनसीपीए) ले जाया गया, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर राजनीतिक, कारोबारी, खेल, मनोरंजन जगत के कई बड़े नाम पहुंचे। सफेद फूलों से सजे वाहन में उनका पार्थिव शरीर एनसीपीए ले जाया गया। एनसीपीए से कुछ किमी दूर स्थित रतन टाटा के आवास से वाहन के रवाना होने से पहले मुंबई पुलिस बैंड ने उनके सम्मान में एक धुन बजाई। इस दौरान भारत के ‘रतन’ को अलविदा कहने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी।