भगतसिंह कोश्यारी महापुरुषों के बारे में अपने बयानों के कारण अक्सर विवादों में रहे है। इसलिए विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाडी (MVA) की मांग थी कि उन्हें तत्काल राज्यपाल के पद से हटाया जाए। कुछ दिनों पहले ही एमवीए के नेताओं ने कोश्यारी को राज्यपाल के पद से हटाने की मांग को लेकर मुंबई में एक बड़ा मार्च भी निकाला था।
रमेश बैस कौन है?
रमेश बैस का जन्म छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुआ था। सात बार सांसद चुने गए बैस देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में मंत्री थे। हालांकि 2019 के आम चुनाव में उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं मिला। उसके बाद, रमेश बैस को त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया।
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साथ ही कोश्यारी खुद भी कई बार राज्यपाल पद से मुक्त होकर राजनीति से रिटायर होने की इच्छा जाता चुके है। इसी पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति ने त्रिपुरा और झारखंड जैसे राज्यों के राज्यपाल का दायित्व संभाल चुके अनुभवी रमेश बैस को अब महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया है।रमेश बैस कौन है?
रमेश बैस का जन्म छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुआ था। सात बार सांसद चुने गए बैस देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में मंत्री थे। हालांकि 2019 के आम चुनाव में उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं मिला। उसके बाद, रमेश बैस को त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया।
वह दो साल तक त्रिपुरा के राज्यपाल रहे और बाद में 2021 में उन्हें राष्ट्रपति ने झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया। उसके बाद अब महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद खाली होने पर उन्हें यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विवादों से भरा भगत सिंह कोश्यारी का कार्यकाल!
महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भगत सिंह कोश्यारी का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। 80 वर्षीय कोश्यारी ने 9 सितंबर 2019 को महाराष्ट्र के 22वें राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला। तब से उनके साथ महाविकास अघाड़ी यानी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) की अनबन चल रही है।
बता दें कि एमवीए सरकार के दौरान कोश्यारी द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे गए विवादित पत्र की भी खूब काफी चर्चा हुई थी। ऐसे ही राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधायकों की वजह से भी कोश्यारी का महाविकास अघाड़ी से प्रचंड मतभेद सामने आया था। बीते कुछ महीनों में कोश्यारी शिवाजी महाराज, सावित्रीबाई फुले, महात्मा फुले जैसे ऐतिहासिक हस्तियों को लेकर दिए बयान से विवादों में घिरे। उन्होंने शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का हीरो बताया था, जिससे बखेड़ा खड़ा हुआ था। सूबे के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) ने कोश्यारी को राज्यपाल के पद से हटाने के लिए मुहीम भी शुरू की थी। कई बार तो राज्य और केंद्र में सत्ता में रहने वाली बीजेपी भी राज्यपाल कोश्यारी की वजह से राजनीतिक दुविधा में फंसी।
बेहद अनुभवी राजनेता है कोश्यारी
भगत सिंह कोश्यारी एक बेहद अनुभवी राजनेता है, जिन्होंने आरएसएस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और बाद में बीजेपी के उपाध्यक्ष बने। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वह उन दुर्लभ नेताओं में से है, जो विधायक, एमएलसी, लोकसभा सदस्य और राज्यसभा सदस्य रह चुके है।
बेहद अनुभवी राजनेता है कोश्यारी
भगत सिंह कोश्यारी एक बेहद अनुभवी राजनेता है, जिन्होंने आरएसएस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और बाद में बीजेपी के उपाध्यक्ष बने। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वह उन दुर्लभ नेताओं में से है, जो विधायक, एमएलसी, लोकसभा सदस्य और राज्यसभा सदस्य रह चुके है।