एनसीपी शरद पवार गुट के नेता आव्हाड के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए अयोध्या के सिद्ध पुस्र्ष परमहंस आचार्य ने कहा, “जितेंद्र आव्हाड का बयान अपमानजनक है और भगवान राम भक्तों की भावना को ठेस पहुंचाता है… मैं महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से आग्रह करूंगा कि वे इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करें। भगवान राम के बारे में गलत बोलने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए… अगर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो मैं खुद जितेंद्र आव्हाड का वध कर दूंगा। मैं चेतावनी दे रहा हूं।“
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी ने क्या कहा?
वहीँ, आव्हाड के बयान पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “एनसीपी नेता जो बोल रहे हैं वो बिल्कुल गलत है। किसी भी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान जब वनवास के लिए गए थे तो उन्होंने मांस खाया था। सभी जगह लिखा है कि उन्होंने कंद-मूल फल खाए… शास्त्र ही प्रमाण हैं… ये विचार निंदनीय हैं…।”
जितेंद्र आव्हाड ने क्या कहा था?
एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के गुट की ओर से शिरडी में दो दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर में मंच से बोलते हुए जितेंद्र आव्हाड ने आपत्तिजनक बयान दिया। इस दौरान शरद पवार और सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं। आव्हाड ने दावा किया कि भगवान राम शाकाहारी नहीं थे। बल्कि मांसाहारी थे। उन्होंने 14 वर्ष वनवास में बिताया था। फिर वे शाकाहारी कैसे हो सकते हैं? वह शिकार करके खाते थे।
शिकार करके खाते थे राम- आव्हाड
एनसीपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आव्हाड ने कहा, “राम हमारे हैं, वे बहुजनों के हैं। राम शिकार करते थे और मांस खाते थे। आप हमें शाकाहारी बनाना चाहते हैं। लेकिन हम राम के आदर्श पर चल रहे हैं और मांसाहारी भोजन कर रहे हैं। 14 साल तक वनवास में रहने वाले व्यक्ति को शाकाहारी भोजन कहां से मिलेगा?”
‘बयान पर कायम हूं’
जितेंद्र आव्हाड ने पत्रकारों से बात करते हुए अपने बयान को दोहराया। उन्होंने कहा, ”मैंने कोई विवादित बयान नहीं दिया है। मैं अपने बयान पर कायम हूं। श्रीराम को शाकाहारी बनाया जा रहा है। लेकिन क्या वनवास के दौरान उन्होंने मेथी की सब्जी खाई थी? इस देश में 80 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और वे राम भक्त हैं।“ अपने बयान का समर्थन करते हुए आव्हाड ने मानवशास्त्र (एंथ्रोपोलॉजी) का हवाला दिया। उन्होंने कहा, हजारों साल पहले, जब कुछ भी नहीं उगाया जाता था, तब सभी लोग मांसाहारी थे।
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‘राम शाकाहारी नहीं, मांसाहारी थे… शिकार करके खाते थे’, शरद पवार गुट के बड़े नेता का दावा
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी ने क्या कहा?
वहीँ, आव्हाड के बयान पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “एनसीपी नेता जो बोल रहे हैं वो बिल्कुल गलत है। किसी भी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान जब वनवास के लिए गए थे तो उन्होंने मांस खाया था। सभी जगह लिखा है कि उन्होंने कंद-मूल फल खाए… शास्त्र ही प्रमाण हैं… ये विचार निंदनीय हैं…।”
जितेंद्र आव्हाड ने क्या कहा था?
एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के गुट की ओर से शिरडी में दो दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर में मंच से बोलते हुए जितेंद्र आव्हाड ने आपत्तिजनक बयान दिया। इस दौरान शरद पवार और सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं। आव्हाड ने दावा किया कि भगवान राम शाकाहारी नहीं थे। बल्कि मांसाहारी थे। उन्होंने 14 वर्ष वनवास में बिताया था। फिर वे शाकाहारी कैसे हो सकते हैं? वह शिकार करके खाते थे।
शिकार करके खाते थे राम- आव्हाड
एनसीपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आव्हाड ने कहा, “राम हमारे हैं, वे बहुजनों के हैं। राम शिकार करते थे और मांस खाते थे। आप हमें शाकाहारी बनाना चाहते हैं। लेकिन हम राम के आदर्श पर चल रहे हैं और मांसाहारी भोजन कर रहे हैं। 14 साल तक वनवास में रहने वाले व्यक्ति को शाकाहारी भोजन कहां से मिलेगा?”
‘बयान पर कायम हूं’
जितेंद्र आव्हाड ने पत्रकारों से बात करते हुए अपने बयान को दोहराया। उन्होंने कहा, ”मैंने कोई विवादित बयान नहीं दिया है। मैं अपने बयान पर कायम हूं। श्रीराम को शाकाहारी बनाया जा रहा है। लेकिन क्या वनवास के दौरान उन्होंने मेथी की सब्जी खाई थी? इस देश में 80 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और वे राम भक्त हैं।“ अपने बयान का समर्थन करते हुए आव्हाड ने मानवशास्त्र (एंथ्रोपोलॉजी) का हवाला दिया। उन्होंने कहा, हजारों साल पहले, जब कुछ भी नहीं उगाया जाता था, तब सभी लोग मांसाहारी थे।