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महाराष्ट्र चुनाव में बेपटरी हुआ राज ठाकरे का ‘रेल इंजन’, अब रद्द हो सकती है MNS की मान्यता

Raj Thackeray MNS : राज ठाकरे की मनसे की स्थापना के बाद यह पहली बार है कि मनसे विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Nov 25, 2024

Raj Thackeray MNS marathi row

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने वाली राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का मान्यता रद्द हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनसे से राजनीतिक दल का दर्जा छीन सकता है, इसके साथ ही पार्टी का अपना चुनाव चिन्ह ‘रेल इंजन’ भी गंवा देने का खतरा मंडरा रहा है।

महाराष्ट्र की राजनीति में किंग मेकर बनने का सपना देखने वाले राज ठाकरे की मनसे का राज्य के चुनाव में खाता नहीं खुला। राज्यभर में मनसे ने 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका। यहां तक की राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी मुंबई की महिम सीट हार गए। पहली बार चुनाव लड़ रहे अमित ठाकरे तीसरे स्थान पर रहे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मनसे को केवल 1.8 फीसदी वोट मिले है, साथ ही ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई है।

क्यों रद्द हो सकती है मनसे की मान्यता?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में किसी भी राजनीतिक दल को अपनी मान्यता व उसको मिले चुनाव चिन्ह को बरकरार रखने के लिए मानदंड तय किए गए हैं। किसी भी पार्टी को अपनी मान्यता बनाए रखने के लिए कम से कम एक सीट जीतनी होटी है। जबकि कुल मत प्रतिशत का आठ प्रतिशत प्राप्त करना होगा या छह प्रतिशत वोट के साथ दो सीटें जीतनी होंगी या तीन प्रतिशत वोट के साथ तीन सीटें जीतनी होंगी। यदि दल इन तीनों ही मानदंडों में से एक भी पूरा नहीं कर पाता है तो निर्वाचन आयोग पार्टी की मान्यता रद्द कर सकता है।’’

ऐसे में चुनाव आयोग मनसे को नोटिस जारी कर सकता है और उसकी मान्यता रद्द कर सकता है। यदि मनसे की मान्यता रद्द होती है तो उसे अगले चुनाव में उसके रिजर्व चुनाव चिन्ह ‘रेलवे इंजन’ की जगह कोई और अनारक्षित चुनाव चिन्ह मिल सकता है। हालांकि पार्टी का नाम नहीं बदलेगा।

गौरतलब हो कि राज ठाकरे ने अपने चाचा बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को अलविदा कहने के बाद मनसे की स्थापना की और साल 2009 में चुनावी राजनीति में कदम रखा. 2009 में पहली बार चुनाव लड़ने पर मनसे ने 13 सीटें जीती थीं। वहीँ, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास एक-एक विधायक थे। यानी मनसे की स्थापना के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब मनसे विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है।