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एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के कायापलट की तैयारी

धारावी के पुनर्विकास के लिए तीन कंपनियों ने लगाई बोली20 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत से बदलेगी तस्वीरदौड़ में अडानी रियल्टी व डीएलएफ

मुंबईNov 16, 2022 / 10:44 pm

Chandra Prakash sain

एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के कायापलट की तैयारी

एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के कायापलट की तैयारी

मुंबई. वर्षों से पुनर्विकास की बाट जोह रही एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी के कायापलट की तैयारी है। धारावी रीडवपलमेंट प्रोजेक्ट के लिए तीन बोलियां मिली हैं। अडानी रियल्टी व डीएलएफ ने अकेले टेंडर जमा किया है। दौड़ में नमन ग्रुप भी शामिल है, जिसने संयुक्त बोली लगाई है। प्रोजेक्ट के मुखिया व एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एसवीआर श्रीनिवास ने कहा कि परियोजना की अनुमानित लागत 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। प्रोजेक्ट के तहत एक करोड़ वर्ग फुट से ज्यादा निर्माण कार्य किया जाएगा। इसमें से 70 से 80 लाख वर्ग फुट पुनर्वसन के लिए झुग्गी वासियों को दिए जाएंगे। लागत की भरपाई के लिए बाकी जगह बेची जा सकती है। निविदा पूर्व बैठक में 11 कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई थी। इनमें दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी भी शामिल है। महाराष्ट्र सरकार प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे चुकी है। 28 सितंबर को जारी अधिसूचना के मुताबिक सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी को एसपीवी गठित करनी होगी। एसपीवी में कम से कम 1600 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। धारावी रीडवपमेंट प्रोजेक्ट के साथ समझौते से पहले एसपीवी को उक्त राशि में से 20 प्रतिशत लगानी होगी। एकीकृत मास्टर प्लान जमा करने से पहले 20 प्रतिशत राशि और लानी होगी। इसके बाद धारावी रीडवलपमेंट प्रोजेक्ट के साथ एसपीवी करार करेगी। धारावी की आबादी 10 लाख से ज्यादा बताई जाती है। इस बस्ती में 58 हजार झुग्गियां और 12 हजार दुकानें-कारखाने हैं।
18 साल से कसरत
धारावी के पुनर्विकास की कसरत 18 साल से चल रही है। कई बार बोलियां मंगाई जा चुकी हैं। बार-बार सर्वे भी कराए गए हैं। स्थानीय लोग पुनर्वसन के लिए तैयार हैं। मगर झुग्गी बस्ती से निकल साफ-सुथरा सोसायटी के घर में जाने का उनका सपना पूरा नहीं हुआ है।
दूसरा बीकेसी
धारावी की झुग्गी बस्ती बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स (बीकेसी) से सटी है। बीकेसी में जमीन का भाव आसमान पर है। प्रॉपर्टी कारोबार के जानकारों का कहना है कि इस बस्ती के पुनर्विकास से आथिक राजधानी मुंबई की सूरत बदलेगी। पुनर्वास की जगह देने के बाद डवलपर अपने हिस्से की जमीन कमर्शियल प्रॉपर्टी के रूप में बना सकते हैं। ऐसे में धारावी दूसरी बीकेसी बन सकती है।
झुग्गियों में 48 प्रतिशत आबादी
मायानगरी में धारावी के अलावा छोटी-बड़ी हजारों झुग्गी बस्तियां हैं। एसआरए के मुताबिक महानगर की 48 प्रतिशत से ज्यादा आबादी झुग्गियों में रहती है। मुंबई के कुल क्षेत्रफल के 24 प्रतिशत हिस्से में झोपड़पट्टियां फैली हैं। अकेले धारावी 600 एकड़ में फैली है। पुनर्वास परियोजना 240 एकड़ में पूरी हो सकती है। प्रत्येक पात्र झुग्गी निवासी को 405 वर्ग फुट (कार्पेट) का फ्लैट मिलेगा।
टेंडर की शर्तें
धारावी रीडलपमेंट प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया के लिए कई शर्तें लगाई गई हैं। इसके मुताबिक बोली लगाने वाली कंपनी के पास कम से कम 20 हजार करोड़ की नेटवर्थ होनी चाहिए। इसके तकनीकी साझीदार की नेटवर्थ भी 2000 करोड़ रुपए होनी जरूरी है। इस कारण केवल बड़ी कंपनियां ही टेंडर में हिस्सा ले सकती हैं।

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