मुंबई

उधर थी बेटी की शादी, इधर बन रहा था परमाणु विस्फोट का प्लान- राजकीय सम्मान के साथ विदा हुए चिदंबरम

R Chidambaram Pokhran Nuclear Test : परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम 1975 और 1998 के परमाणु परीक्षणों सहित देश के अन्य परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मुंबईJan 05, 2025 / 09:58 am

Dinesh Dubey

भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को 88 साल की उम्र में मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन हो गया। चिदंबरम ने 1975 और 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताया है।
देश के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक का शाम करीब 6 बजे मुंबई के देवनार श्मशान भूमि में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पोखरण परमाणु परीक्षणों के मुख्य वास्तुकार चिदंबरम को साल 1975 और साल 1999 में पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

बेटी की शादी के बीच परमाणु परीक्षण का प्लान फाइनल

मुंबई के एक हॉल में चिदंबरम की दूसरी बेटी की शादी थी, इस शादी में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल हुए थे, लेकिन इसी दौरान पोखरण-2 परमाणु परीक्षण का प्लान भी बनाया जा रहा था। चिदंबरम ने खुद इस बात का खुलासा किया था। 2015 में एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया था कि एक तरफ उनकी बेटी की शादी के अनुष्ठान चल रहे थे, तो वह और कलाम चुपके से पास के एक कमरे में बैठकर परमाणु परीक्षण की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे थे।
11 नवंबर 1936 को चेन्नई में जन्मे चिदंबरम को भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने पोखरण-1 (1975) और पोखरण-2 (1998) के परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1974 में परमाणु परीक्षण ऑपरेशन ‘स्माइलिंग बुद्धा’ के लिए मुंबई से पोखरण तक प्लूटोनियम ले जाने वाले सेना के ट्रक में यात्रा की थी।
चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव के तौर पर भी काम किया। चिदंबरम ने 16 वर्षों तक भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में काम किया। इसके अलावा वह 1994 से 1995 तक अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे थे।
चिदंबरम 1962 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) में शामिल हुए और 1990 में इसके निदेशक बने। 1993 में, उन्होंने परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग में सचिव के रूप में देश के परमाणु कार्यक्रम का नेतृत्व किया, इस पद पर वह 2000 तक रहे। रिटायर होने के बाद चिदंबरम को 2001 में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के रूप में नियुक्त किया गया, वह 2018 तक इस पद पर रहे।
चिदंबरम 1998 में पोखरण-2 परीक्षण, जिसे ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया था पर काम करते समय डीआरडीओ के तत्कालीन अध्यक्ष एपीजे अब्दुल कलाम के साथ सेना की वर्दी में नजर आए थे।

वर्ष 1998 में 11 मई और 13 मई को जब पांच परमाणु परीक्षण किए गए थे, तब चिदंबरम भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख थे। पांच परमाणु परीक्षणों में थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस यानी न्यूट्रॉन बम भी शामिल था।

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