पीएम मोदी ने पालघर के ‘सिडको ग्राउंड’ में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। जिनमें वधावन पोर्ट की आधारशिला प्रमुख है। वधावन पोर्ट भारत में गहरे पानी में स्थित सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक होगा। यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री परिवहन के लिए सीधा संपर्क प्रदान करेगा। जिससे समय की बचत तो होगी ही साथ ही लागत में भी कटौती आएगी। नतीजतन देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
पालघर जिले के दहाणु शहर के पास वधावन में बनने वाले इस विश्वस्तरीय बंदरगाह का निर्माण वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (वीपीपीएल) द्वारा किया जाएगा। इस परियोजना से लगभग 12 लाख व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलने की संभावना है। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।
वधावन बंदरगाह को महाराष्ट्र के पालघर जिले के वधावन में ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट मेजर पोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा, जो सभी मौसमों में संचालित होगा। इस परियोजना की कुल लागत 76,220 करोड़ रुपये है। इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में मुख्य बुनियादी ढांचे, टर्मिनलों और अन्य वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा।
इसके साथ ही वधावन बंदरगाह को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ने और मौजूदा रेल नेटवर्क और आगामी समर्पित रेल फ्रेट कॉरिडोर से लिंक करने की भी योजना बनाई जा रही है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी एवं बुनियादी ढांचे से लैस वधावन पोर्ट में नौ कंटेनर टर्मिनल होंगे। इनमें से प्रत्येक 1,000 मीटर लंबा होगा। तटीय बर्थ सहित चार बहुउद्देशीय बर्थ, चार लिक्विड कार्गो बर्थ, एक रो-रो बर्थ और एक तटरक्षक बर्थ शामिल होंगे।
इस परियोजना की क्षमता (संचयी) 298 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) प्रति वर्ष होगी। इसमें लगभग 23.2 मिलियन टीईयू (लगभग 20 फुट) कंटेनर हैंडलिंग क्षमता शामिल है। वधावन बंदरगाह पूरा होने पर दुनिया के शीर्ष दस बंदरगाहों में से एक होगा।