गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राज्य को विशेषाधिकार मिला है। जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने इस बात पर ग़ौर किया कि प्रत्येक राज्य को अपने नागरिकों की भलाई को प्राथमिकता देने की जिम्मेदारी होती है।
FDA के आदेश को चुनौती
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “प्रत्येक राज्य पर अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की जिम्मेदारी है, अगर उत्तर प्रदेश ने इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि महाराष्ट्र इसकी अनुमति देगा।”
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FDA के आदेश को चुनौती
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रजनीगंधा पान मसाला के निर्माता धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड द्वारा यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। याचिका में महाराष्ट्र में पान मसाला और गुटका उत्पादों की बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगाने वाले एफडीए के जुलाई 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
पान मसाला में निकोटीन नहीं- रजनीगंधा
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि पान मसाला को खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011 के तहत खाद्य पदार्थ माना गया है, इसमें तंबाकू या निकोटीन नहीं होता है। इसके अलावा याचिका में यह भी तर्क दिया कि एफडीए साल 2012 से बार-बार रोक लगाने का आदेश जारी कर रहा है, जो कि असंवैधानिक और मनमाना है। वर्तमान में सुपारी के हानिकारक प्रभावों को साबित करने के लिए उतने वैज्ञानिक अध्ययन भी नहीं हुए है। ऐसे में एफडीए का एक साल से अधिक समय तक प्रतिबंध लगाना गलत है।
1 अप्रैल को अगली सुनवाई
रजनीगंधा के पास महाराष्ट्र में अपना व्यवसाय करने का लाइसेंस नहीं है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार राज्य में पान मसाला बनाने के लिए लाइसेंस जारी नहीं करता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आगे की कार्यवाही 1 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
पान मसाला में निकोटीन नहीं- रजनीगंधा
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि पान मसाला को खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011 के तहत खाद्य पदार्थ माना गया है, इसमें तंबाकू या निकोटीन नहीं होता है। इसके अलावा याचिका में यह भी तर्क दिया कि एफडीए साल 2012 से बार-बार रोक लगाने का आदेश जारी कर रहा है, जो कि असंवैधानिक और मनमाना है। वर्तमान में सुपारी के हानिकारक प्रभावों को साबित करने के लिए उतने वैज्ञानिक अध्ययन भी नहीं हुए है। ऐसे में एफडीए का एक साल से अधिक समय तक प्रतिबंध लगाना गलत है।
1 अप्रैल को अगली सुनवाई
रजनीगंधा के पास महाराष्ट्र में अपना व्यवसाय करने का लाइसेंस नहीं है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार राज्य में पान मसाला बनाने के लिए लाइसेंस जारी नहीं करता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आगे की कार्यवाही 1 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।