अब सभी का होगा अपना घर, म्हाडा की यह है रणनीति वर्षों से MHADA प्राधिकरण से सैकड़ों लोग लगाए बैठे थे आस बेहद खतरनाक है माहुल में रहना…
विदित हो कि माहुल क्षेत्र रहने योग्य किसी भी तरह से नहीं है। इसकी पुष्टि मुंबई उच्च न्यायालय और भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मुंबई भी कर चुके हैं। माहुल में औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से पिछले दो वर्षों में प्रदूषण के चलते 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, यहां निवास करने को मजबूर 5 हजार से अधिक परिवार के प्रत्येक एक व्यक्ति प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से पीड़ित है। अस्थमा, कैंसर, टीबी, पैरालिसिस, घातक त्वचा रोग आदि जैसी जानलेवा बीमारियों से महुलवासी पीड़ित हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ऐसी विपरीत स्थितियों में माहुल में रहना बेहद खतरनाक है।
विदित हो कि माहुल क्षेत्र रहने योग्य किसी भी तरह से नहीं है। इसकी पुष्टि मुंबई उच्च न्यायालय और भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मुंबई भी कर चुके हैं। माहुल में औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से पिछले दो वर्षों में प्रदूषण के चलते 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, यहां निवास करने को मजबूर 5 हजार से अधिक परिवार के प्रत्येक एक व्यक्ति प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से पीड़ित है। अस्थमा, कैंसर, टीबी, पैरालिसिस, घातक त्वचा रोग आदि जैसी जानलेवा बीमारियों से महुलवासी पीड़ित हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ऐसी विपरीत स्थितियों में माहुल में रहना बेहद खतरनाक है।
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उल्लेखनीय है कि हर दिन बीमारी और मौत के बीच रहने को मजबूर माहुल वासियों ने अक्टूबर 2018 में ‘जीवन बचाओ आंदोलन’ कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी सुधि लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा। हालांकि शिवसेना युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे के हस्तक्षेप के बाद म्हाडा में प्रभावित लोगों को 300 घर देने की घोषणा तो की थी, लेकिन बिल्डर शिर्के की उदासीनता के चलते उन घरों की अभी तक ओसी तक नहीं है। वहीं निवासियों ने म्हाडा के 300 घर गोराई में देने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन एक साल के बाद नगरपालिका के प्रशासन में देरी को लेकर लोगों ने नाराजगी व्यक्त की और अभी भी उनके घरों का कब्जा नहीं मिला है। वहीं माहुल वासियों ने म्हाडा अध्यक्ष उदय सामंत से मिलकर विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 300 लोगों को सूचीबद्ध किया किया और बिजली-पानी दोनों को जल्द उपलब्ध कराने की मांग की।
उल्लेखनीय है कि हर दिन बीमारी और मौत के बीच रहने को मजबूर माहुल वासियों ने अक्टूबर 2018 में ‘जीवन बचाओ आंदोलन’ कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी सुधि लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा। हालांकि शिवसेना युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे के हस्तक्षेप के बाद म्हाडा में प्रभावित लोगों को 300 घर देने की घोषणा तो की थी, लेकिन बिल्डर शिर्के की उदासीनता के चलते उन घरों की अभी तक ओसी तक नहीं है। वहीं निवासियों ने म्हाडा के 300 घर गोराई में देने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन एक साल के बाद नगरपालिका के प्रशासन में देरी को लेकर लोगों ने नाराजगी व्यक्त की और अभी भी उनके घरों का कब्जा नहीं मिला है। वहीं माहुल वासियों ने म्हाडा अध्यक्ष उदय सामंत से मिलकर विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 300 लोगों को सूचीबद्ध किया किया और बिजली-पानी दोनों को जल्द उपलब्ध कराने की मांग की।
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गोराई स्थित संक्रमण शिविर के डेवलपर्स बी. जी. शिर्के डेवलपर ने बनाया है। वहीं 10 साल बाद भी यह सामने आया है कि इन घरों की कोई ओसी नहीं है। डेवलपर शिर्के को ओसी पाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता थी, जोकि बिल्डर की उदासीनता से नहीं हो सका। ओसी न होने के कारण नगरपालिका इन घरों को बिजली और पानी नहीं देता है। जबकि सुनने में आया है कि 300 घरों की ओसी न होने के बावजूद भी महानगर पालिका ने अब तक उन्हें अपने कब्जे में नहीं लिया है।
गोराई स्थित संक्रमण शिविर के डेवलपर्स बी. जी. शिर्के डेवलपर ने बनाया है। वहीं 10 साल बाद भी यह सामने आया है कि इन घरों की कोई ओसी नहीं है। डेवलपर शिर्के को ओसी पाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता थी, जोकि बिल्डर की उदासीनता से नहीं हो सका। ओसी न होने के कारण नगरपालिका इन घरों को बिजली और पानी नहीं देता है। जबकि सुनने में आया है कि 300 घरों की ओसी न होने के बावजूद भी महानगर पालिका ने अब तक उन्हें अपने कब्जे में नहीं लिया है।
म्हाडा ने माहुल निवासियों को 300 घर देने की बात कबूल की है। नगर आयुक्तों से अनुरोध किया गया है कि वे मानवता के आधार पर इन घरों को बिजली और पानी उपलब्ध कराएं। म्हाडा को विश्वास है कि महुलवासियों की यह परेशानी अलगे हफ्ते में सुलझा ली जाएगी। घरों की ओसी के लिए जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
– उदय सामंत, अध्यक्ष, म्हाडा