जानकारी के मुताबिक, एनआईए की एक टीम आज सुबह 5 बजे विक्रोली इलाके में रहने वाले अब्दुल वाहिद शेख के घर पहुंची। शेख 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाके मामले में आरोपी थे। हालांकि बाद में उन्हें ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
एटीएस ने किया था गिरफ्तार
11 जुलाई 2006 की शाम में मुंबई लोकल ट्रेन में 11 मिनट में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 188 लोग मारे गए थे और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
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एटीएस ने किया था गिरफ्तार
11 जुलाई 2006 की शाम में मुंबई लोकल ट्रेन में 11 मिनट में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 188 लोग मारे गए थे और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
इस आतंकी घटना के चार महीने बाद महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने बम विस्फोट में शामिल 30 लोगों को आरोपी बनाया। जिनमें वाहिद शेख सहित 13 को गिरफ्तार किया गया और बाकि 17 को फरार घोषित किया गया। फरार आरोपियों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे।
लगे थे संगीन आरोप
वाहिद शेख पर प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) का सदस्य होने का आरोप लगा था। एटीएस ने दावा किया था कि शेख के घर पर पाकिस्तान से आये आतंकी ठहरे थे। जिन्होंने शहर की लोकल ट्रेनों में बम रखे थे।
लगे थे संगीन आरोप
वाहिद शेख पर प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) का सदस्य होने का आरोप लगा था। एटीएस ने दावा किया था कि शेख के घर पर पाकिस्तान से आये आतंकी ठहरे थे। जिन्होंने शहर की लोकल ट्रेनों में बम रखे थे।
गिरफ्तारी के नौ साल बाद सितंबर 2015 में एक विशेष मकोका अदालत ने 13 में से 12 संदिग्धों को दोषी ठहराया। मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके के पांच दोषियों को मौत की सजा और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी। जबकि शेख को इस मामले में बरी कर दिया गया।
ट्रायल के दौरान कई डिग्रियां हासिल की
वाहिद शेख को जब आतंकी हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था तो वह एक निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करते थे। साथ ही मुंबई यूनिवर्सिटी से उर्दू में पीएचडी कर रहे थे। हालांकि, मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहते हुए शेख ने अंग्रेजी में मास्टर डिग्री, पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढाई पूरी की। साथ ही कानून की डिग्री भी हासिल की।
जेल में लिखी ‘बेगुनाह कैदी’
जेल से रिहा होने के कुछ महीने पहले शेख ने ‘बेगुनाह कैदी’ (Begunaah Qaidi) नाम की 400 पेज की किताब भी लिख डाली। शेख मामले में दोषी ठहराए गए 12 आरोपियों को भी बेगुनाह मानते है और उनकी रिहाई के लिए अभियान भी चलाया।
ट्रायल के दौरान कई डिग्रियां हासिल की
वाहिद शेख को जब आतंकी हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था तो वह एक निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करते थे। साथ ही मुंबई यूनिवर्सिटी से उर्दू में पीएचडी कर रहे थे। हालांकि, मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहते हुए शेख ने अंग्रेजी में मास्टर डिग्री, पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढाई पूरी की। साथ ही कानून की डिग्री भी हासिल की।
जेल में लिखी ‘बेगुनाह कैदी’
जेल से रिहा होने के कुछ महीने पहले शेख ने ‘बेगुनाह कैदी’ (Begunaah Qaidi) नाम की 400 पेज की किताब भी लिख डाली। शेख मामले में दोषी ठहराए गए 12 आरोपियों को भी बेगुनाह मानते है और उनकी रिहाई के लिए अभियान भी चलाया।