जानकारी के मुताबिक, यात्रियों के विरोध के बाद रेल प्रशासन ने मुंबई में शुरू की गयी नई एसी लोकल सेवाओं को बंद कर सामान्य लोकल का संचालन शुरू किया, लेकिन फिर भी यात्री अपनी अन्य मांग को लेकर विरोध कर रहे है। इसी पृष्ठभूमि में जितेंद्र आव्हाड ने रेल प्रशासन को चेतावनी दी है। रात 10 बजे के बाद मेल ट्रेनों की आवाज 175 डेसिबल (Decibel) होती है। इसलिए इसके साइड इफेक्ट हो रहे हैं। बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। कई इमारतों को नुकसान हुआ है। इसलिए रेलवे को डेसिबल कम करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
“आंदोलन को संभालना मुश्किल होगा”
एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने रेल अधिकारियों से कहा “इसे सहन नहीं किया जाएगा। मैं अपने लोगों के बारे में जरुर सोचूंगा। एसी लोकल के खिलाफ मेरा आंदोलन गरीब जनता के लिए है। पीक आवर्स के दौरान एसी लोकल को चलने नहीं दिया जाएगा। नहीं तो 4 से 5 हजार लोग रेलवे ट्रैक पर उतरेंगे तो हालात को काबू करना मुश्किल होगा। मेरी भूमिका हमेशा मेरी पार्टी या मेरे लिए नहीं होती है। रेलवे को अपने यात्रियों की ताकत का पता नहीं है। ट्रेन की पटरियों पर उतरने पर यात्रियों को क्या गोली मार देंगे।
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“आंदोलन को संभालना मुश्किल होगा”
एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने रेल अधिकारियों से कहा “इसे सहन नहीं किया जाएगा। मैं अपने लोगों के बारे में जरुर सोचूंगा। एसी लोकल के खिलाफ मेरा आंदोलन गरीब जनता के लिए है। पीक आवर्स के दौरान एसी लोकल को चलने नहीं दिया जाएगा। नहीं तो 4 से 5 हजार लोग रेलवे ट्रैक पर उतरेंगे तो हालात को काबू करना मुश्किल होगा। मेरी भूमिका हमेशा मेरी पार्टी या मेरे लिए नहीं होती है। रेलवे को अपने यात्रियों की ताकत का पता नहीं है। ट्रेन की पटरियों पर उतरने पर यात्रियों को क्या गोली मार देंगे।
आव्हाड ने चेतावनी देते हुए कहा “आप कितने लोगों को गोली मार देंगे, हर स्टेशन पर पैसेंजर पटरी पर उतरेंगे, भले ही देश की सेना ला दी जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।“ आज कलवा में रेल यात्री सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें कई यात्री संघ के अलावा एनसीपी नेता और रेल अधिकारी मौजूद थे।
‘मैं लोकल के महत्व को जानता हूँ’
उन्होंने आगे कहा “मैंने रेलवे में यात्रा की है, इसलिए मैं भी इस आंदोलन में भाग ले रहा हूँ। मैंने 7 साल तक सुबह पांच बजे अंबरनाथ लोकल से यात्रा की है। इसलिए लोकल के महत्व को जानता हूँ। अगर आप ठान लें तो किसी के भी बाप की हिम्मत नहीं होगी कि वो फैसले के खिलाफ जाए। यात्रियों की समस्या को रेलवे गंभीरता से लें। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद कर दिए जाते हैं। रेलवे का शोर तो 175 डेसिबल है, इसके बारे में क्या किया जाना चाहिए?”
“रात 10 के बाद चलने वाली मेल ट्रेनों को रोकेंगे”
अगर इसे नहीं रोका गया तो हम रात दस के बाद चलने वाले हर मेल ट्रेन को रोक देंगे। डेसिबल कम नहीं हुआ तो हम रेलवे ट्रैक पर उतर कर विरोध करेंगे। चाहे वह रेल यात्री हो या गैर रेल यात्री। सभी इस आंदोलन में शामिल होंगे। आव्हाड ने कहा कि हम रेलवे की ज़िंदगी पर नहीं हैं, रेलवे हमारी ज़िंदगी पर है।