मुंबई. भारत की लंबी जल सीमा की सुरक्षा के लिए 1980 के दशक में सिंधु श्रेणी की 10 पनडुब्बियां खरीदी गई थीं। यह पनडुब्बियां काफी पुरानी हो चुकी हैं, जिनकी रिपेयरिंग बेहद जरूरी है। परेशानी यह है कि इन पनडुब्बियों की मरम्मत के लिए रूस में पाट्र्स नहीं मिल रहे हैं। इस कारण सिंधु श्रेणी की पनडुब्बियों की रिपेयरिंग नहीं हो पा रही है। चिंताजनक यह कि मरम्मत न होने के चलते 10 में से सिंधु क्लास की 3 पनडुब्बियां अरब सागर में सुरक्षा ड्यूटी निभाने योग्य नहीं हैं। बड़ा सवाल यह कि जर्जर पनडुब्बियां चीन और पाकिस्तान की चुनौती से कैसे निपटेंगी।
सिंधु क्लास की यह पनडुब्बियां सोवियत संघ के दौर में खरीदी गई हैं, जहां से रिपेयरिंग के लिए जरूरी पाट्र्स नहीं मिल रहे हैं। जुगाड़ के जरिए भारतीय नौसेना इनकी मरम्मत कराती रही है। दिक्कत यह है कि सोवियत संघ के टूटने के बाद जो देश बने हैं, उनमें से कुछ के साथ हमारे समझौते हैं जबकि कुछ के साथ नहीं हैं। सिंधु क्लास की पनडुब्बियों की मरम्मत के लिए सोवियत संघ से अलग हुए देशों से रिश्ते जोड़े जा रहे हैं। बावजूद इसके पुरानी पनडुब्बियों की मरम्मत के लिए जरूरी ककलपुर्जे नहीं मिल पा रहे हैं।
कई पनडुब्बियों की सेवा अवधि समाप्त
नौसेना के सूत्रों के अनुसार सिंधु श्रेणी की कई पनडुब्बियों की सेवा अवधि समाप्त हो चुकी है। इसके बावजूद मजबूरी में उनकी सेवा ली जा रही है। रूस में इस तरह की पनडुब्बियां नहीं बनाई जा रही हैं। जर्जर हो चुकीं पनडुब्बियों की छोटी-मोटी रिपेयरिंग विशाखापतनम में होती है जबकि कोई बड़ी परेशानी होती है तो इन्हें मरम्मत के लिए रूस भेजना पड़ता है।
कई पनडुब्बियों की सेवा अवधि समाप्त
नौसेना के सूत्रों के अनुसार सिंधु श्रेणी की कई पनडुब्बियों की सेवा अवधि समाप्त हो चुकी है। इसके बावजूद मजबूरी में उनकी सेवा ली जा रही है। रूस में इस तरह की पनडुब्बियां नहीं बनाई जा रही हैं। जर्जर हो चुकीं पनडुब्बियों की छोटी-मोटी रिपेयरिंग विशाखापतनम में होती है जबकि कोई बड़ी परेशानी होती है तो इन्हें मरम्मत के लिए रूस भेजना पड़ता है।
नई पनडुब्बियों की जरूरत
नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि हमें आधुनिक हथियार प्रणाली वाली नई पनडुब्बियों की आवश्यकता है। नौसेना की सामरिक आवश्यकता के हिसाब से पनडुब्बियों की कमी है। जरूरत पूरी करने के लिए सरकार ने 6 पनडुब्बियों के ऑर्डर दिए हैं। इनमें से अभी तक 2 पनडुब्बी-कल्वरी और खंडेरी मिली हैं जबकि 4 पनडुब्बियां मिलनी बाकी हैं। कुछ पनडुब्बियां मझगांव डॉक में तैयार हो रही हैं, जिनके जल्द ही नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है।
नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि हमें आधुनिक हथियार प्रणाली वाली नई पनडुब्बियों की आवश्यकता है। नौसेना की सामरिक आवश्यकता के हिसाब से पनडुब्बियों की कमी है। जरूरत पूरी करने के लिए सरकार ने 6 पनडुब्बियों के ऑर्डर दिए हैं। इनमें से अभी तक 2 पनडुब्बी-कल्वरी और खंडेरी मिली हैं जबकि 4 पनडुब्बियां मिलनी बाकी हैं। कुछ पनडुब्बियां मझगांव डॉक में तैयार हो रही हैं, जिनके जल्द ही नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है।
…तो सेवा से हटानी पड़ेंगी 3 पनडुब्बियां
‘सिंधु’ श्रेणी की 10 पनडुब्बियां 1986 से 2000 के बीच एक-एक कर नौसेना में शामिल की गईं। इनमें से 6 पनडुब्बियां मुंबई में थीं, जिनमें से एक पनडुब्बी 2013 में विस्फोट के बाद समुद्र में डूब गई। तीन पनडुब्बियों की 1997 से 2005 के बीच रिपेयरिंग कराई गई। तीन पनडुब्बियों की दूसरी बार मरम्मत बेहद जरूरी है। रूस से आवश्यक कलपुर्जे नहीं मिले तो यह पनडुब्बियां सेवा से हटानी पड़ सकती हैं।
‘सिंधु’ श्रेणी की 10 पनडुब्बियां 1986 से 2000 के बीच एक-एक कर नौसेना में शामिल की गईं। इनमें से 6 पनडुब्बियां मुंबई में थीं, जिनमें से एक पनडुब्बी 2013 में विस्फोट के बाद समुद्र में डूब गई। तीन पनडुब्बियों की 1997 से 2005 के बीच रिपेयरिंग कराई गई। तीन पनडुब्बियों की दूसरी बार मरम्मत बेहद जरूरी है। रूस से आवश्यक कलपुर्जे नहीं मिले तो यह पनडुब्बियां सेवा से हटानी पड़ सकती हैं।
सिंधु श्रेणी की पनडुब्बियों की स्थिति
पनडुब्बी कब मिली इसके पहले मरम्मत
सिंधु घोष अप्रेल, 1986 2002-2005
सिंधु वीर अगस्त, 1988 1997 -1999
सिंधु रत्न दिसंबर, 1988 2001 -2003
सिंधु ध्वज जून, 1987 —–
सिंधु राज अक्टूबर, 1987
पनडुब्बी कब मिली इसके पहले मरम्मत
सिंधु घोष अप्रेल, 1986 2002-2005
सिंधु वीर अगस्त, 1988 1997 -1999
सिंधु रत्न दिसंबर, 1988 2001 -2003
सिंधु ध्वज जून, 1987 —–
सिंधु राज अक्टूबर, 1987