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पांडवों ने बनाया था मंदिर
कहते हैं कि अपने अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहां पहुंचे तब देवी एकविरा उनके सामने प्रकट हुई और उनकी कार्य दिशा की परीक्षा लेने के लिए उन्होंने पांडवों के सामने अपना एक मंदिर बनाने की चुनौती रखी। मगर साथ ही शर्त रखी थी कि वह मंदिर रातों-रात बनना चाहिए। पांडवों ने मंदिर बना दिया। उनकी इस भक्ति से देवी इतनी प्रसन्न हुई कि उन्हें वरदान दिया कि अपने अज्ञातवास के दौरान कभी भी उनकी पहचान नहीं हो पाएगी। और वो अपना एक साल का अज्ञातवास काटने में सफल होंगे।
नवरात्रि में दर्शन के लिए आते हैं लाखों भक्त
एकविरा देवी आगरी-कोली समाज की प्रमुख देवी है और वो उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं। हर साल दूर-दूर से आगरी-कोली समाज के लोग मां एकविरा के दर्शन करने यहाँ आते है। वैसे तो सालभर यहाँ दर्शनों का सिलसिला चलता रहता है। लेकिन हर साल चैत्र नवरात्रि और नवरात्रि के समय यहां भक्तों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। उस दौरान लाखों की संख्या में भक्त यहाँ पहुंचते हैं।
कई नामों से होती है पूजा
देवी एकविरा की पूजा कई और नामों से भी की जाती है, जिनमें से एक प्रमुख नाम है- रेणुका। भारत के पडोसी देश नेपाल में देवी रेणुका को अमर ऋषि परशुराम की मां माना जाता है।
शीतला माता मंदिर
लोनावला में देवी एकविरा माता का मुख्य मंदिर तो है ही साथ ही और भी कई देवियों के भी छोटे-छोटे मंदिर है। उन देवियों को एकविरा माता का अवतार माना जाता है और उनकी पूजा होती है। इनमें प्रमुख देवी है शीतला माता। एकविरा देवी में भक्तों की गहरी आस्था है और उनका विश्वास है देवी मां से जो भी मांगा जाता है, वह उनकी इच्छा जरूर पूरी कर देतीं हैं।
सदियों पुरानी है कार्ला गुफाएं
एकविरा आई मंदिर के साथ ही यहां की कार्ला गुफाएं भी अपने आप में ऐतिहासिक है। यह कभी बौध धर्म का एक बड़ा अहम केंद्र रही थी, यहां पहाड़ पर चट्टान को काटकर इन गुफाओं का निर्माण किया है। जो देखने में ही बहुत अद्भुत है। इन गुफाओं में आज भी भगवान बुद्ध की कई मूर्तियां विद्यमान है। जिनमें वें अलग-अलग मुद्राओं में नजर आ रहे हैं।