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Narali Purnima 2022: नारली पूर्णिमा पर महाराष्ट्र में क्यों होती है समुद्र की पूजा, जानिए इससे जुड़ी विशेष बातें, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Narali Purnima Importance: इस दिन नारियल से मीठा पकवान बनाया जाता है, जिसे रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खाया जाता है। इस दिन नारियल को मुख्य भोजन माना जाता है और मछुआरे इससे बने विभिन्न व्यंजनों का सेवन करते हैं। साथ ही गायन और नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण होता है।

मुंबईAug 11, 2022 / 10:52 am

Dinesh Dubey

नारली पूर्णिमा पर्व 2022

Narali Purnima Festival Shubh Muhurat, Mantra And Significance: श्रावण महीने (Shravan Month) को त्योहारों, धार्मिक उत्सवों और व्रतों का महीना कहा जाता है। नारली पूर्णिमा का पर्व (Narali Purnima Festival) रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) के दिन ही मनाया जाता है। इस दिन समुद्र के देवता भगवान वरुण (Varun) की पूजा की जाती है। यह पर्व मछली पकड़ने, नमक उत्पादन, या समुद्र से संबंधित किसी अन्य गतिविधि में शामिल लोगों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार महाराष्ट्र (Maharashtra) में विशेष रूप से तटीय महाराष्ट्र और आसपास के कोंकणी क्षेत्रों में बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
नारियाल पूर्णिमा पर पूजा करने वाले भक्तों का मानना है कि समुद्र की पूजा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और मछुआरों को सभी प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचाते हैं। नारली (Narali) शब्द नराल (Naral) से आया है जिसका अर्थ है नारियल (Coconut) और पूर्णिमा (Purnima) का मतलब पूर्णचंद्र दिखने (Full Moon) का दिन है।
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इस दिन, महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण (Maharashtrian Brahmin) फलाहार उपवास करते हैं। इस दौरान फल, सूखे मेवे और कुछ दुग्ध उत्पादों वाली चीजे खायी जाती है। हालांकि व्रत के दौरान सबसे ज्यादा नारियल से बनी चीजे ही खाने में पसंद की जाती हैं। इस दिन प्रकृति के प्रति अपना प्यार, सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के लिए पेड़ भी लगाये जाते हैं।

नारली पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Narali Purnima Shubh Muhurat):

इस साल नारली पूर्णिमा 12 अगस्त 2022 (शुक्रवार) को मनाई जा रही है। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 बजे शुरू हो चुकी है और 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी।

मंत्र (Narali Purnima Mantra):

नारली पूर्णिमा पर्व में पूजा के समय यह मंत्र पढ़ा जाता है- ॐ वं वरुणाय नमः

नारली पूर्णिमा का महत्व (Narali Purnima Significance):

नारली पूर्णिमा मछली पकड़ने के सीजन की शुरुआत का दिन है। इसलिए मछुआरे (Fishermen) भगवान वरुण (Lord Varun) का पूजन करते है और प्रसाद चढ़ाते हैं। वे समुद्र से प्रचुर मात्रा में मछली पकड़ने का आशीर्वाद लेने के लिए भगवन से विशेष प्रार्थना करते हैं। पूजा की रस्में पूरी करने के बाद मछुआरे अपनी सजी हुई नाव लेकर समुद्र में जाते हैं। और शुभ शुरुआत करके कुछ समय में समुद्र से वापस किनारे पर लौट आते हैं और परिवार के साथ उत्सव मानाते हैं।
इस दिन नारियल से मीठा पकवान बनाया जाता है, जिसे रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खाया जाता है। इस दिन नारियल को मुख्य भोजन माना जाता है और मछुआरे इससे बने विभिन्न व्यंजनों का सेवन करते हैं। साथ ही गायन और नृत्य इस त्योहार का मुख्य आकर्षण होता है।

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