नांदेड का शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल मराठवाडा का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल है। बीते दो दिनों से यह अस्पताल सुर्ख़ियों में है। अब इस अस्पताल की भयावह स्थिति के अलग-अलग पहलू सामने आने लगे हैं। यहां स्वास्थ्य व्यवस्था की खस्ता हालत और मेडिकल सुविधाओं की कमी सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है।
एक मां अपने डेंगू पीड़ित बेटे को लेकर शंकरराव चव्हाण अस्पताल आई है। महिला ने आरोप लगाया कि यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी होने के कारण पांच दिन बाद भी उनके बेटे की सेहत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। महिला का नाम यमुना नरवाडे है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान अस्पताल प्रशासन के सारे दावों की पोल खोल दी।
रोते हुए यमुना नरवाडे ने कहा, मेरे 14 साल के बेटे को डेंगू हुआ है। मैं बेटे का इलाज करवाने के लिए यवतमाल जिले के उमरखेड से यहां आई हूं। मुझे लगा था कि नांदेड का सरकारी अस्पताल बड़ा है तो अच्छा इलाज होगा। लेकिन, यहां कोई सुविधा नहीं है। दवा भी बाहर से लानी पड़ती है। पीने के लिए पानी तक नहीं है। बच्चे की मां ने आगे कहा, मेरे पास अब पैसे नहीं हैं, अब मैं क्या करूं? ऐसे सरकारी अस्पताल का क्या फायदा है।
इसी शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में आज शिवसेना (शिंदे गुट) सांसद हेमंत पाटील भी पहुंचे। इस समय नांदेड अस्पताल में हर तरफ गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ था। इसे देखने के बाद हिंगोली के सांसद हेमंत पाटील ने अस्पताल के डीन से शौचालय की सफाई करवाई। इतना ही नहीं शिंदे गुट के नेता ने अस्पताल प्रशासन को भी खरी-खोटी सुनाई है।
उन्होंने अस्पताल प्रशासन को फटकारते हुए कहा, सरकारी अस्पताल के शौचालय बहुत गंदी स्थिति में थे। कई शौचालय बंद थे। कुछ जगहों पर शौचालय पूरी तरह बंद थे। पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। शौचालय में सामान भरा हुआ है. बच्चों के वार्ड का भी बुरा हाल है, वहां कई महीनों से ठीक से सफाई नहीं हुई हैं। न पानी, न सफाई, न सुविधाएं…प्रशासन को ये काम जिम्मेदारी से करना चाहिए।
पाटील ने कहा कि आम आदमी कहां जाएगा.. डीन को ध्यान देना चाहिए, गर्भवती वार्ड में शराब की बोतलें पड़ी हैं.. डीन को अस्पताल का नियमित दौरा करना चाहिए और स्थिति देखनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि वह मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि अस्पताल में जो भी अव्यवस्था चल रही है, उसके दोषियों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाये।
नांदेड के सरकारी अस्पताल में 48 घंटे में 16 नवजात शिशुओं समेत 31 मरीजों की मौत होने के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गयी है। इस मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य निदेशक की एक जांच समिति नांदेड भेजी गई है। सीएम शिंदे की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई।